
सरकार ने फॉक्सवैगन की मांग पर अदालत में दिया यह जवाब, जानिए क्या है मामला
क्या है खबर?
भारत सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया है कि 1.4 अरब डॉलर (करीब 120 अरब रुपये) के टैक्स बिल को रद्द करने की फॉक्सवैगन की मांग पर सहमति जताने से 'विनाशकारी परिणाम' होंगे।
इससे कंपनियां सूचना छिपाने तथा जांच में देरी करने के लिए प्रोत्साहित होंगी। यह जानकारी अदालती दस्तावेजों से सामने आई है।
सरकार की ओर से इतने अधिक आयात शुल्क की मांग 12 साल के फॉक्सवैगन के शिपमेंट की जांच के बाद की गई है।
जवाब
भारतीय कर अधिकारियों ने क्या कहा?
भारतीय कर प्राधिकरण ने उच्च न्यायालय को बताया कि फॉक्सवैगन ने अपने आयातों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और डाटा को रोककर देरी की है।
कार निर्माता के तर्क को स्वीकार करने से आयातकों को महत्वपूर्ण जानकारी को दबाने का मौका मिल जाएगा और फिर वे दावा कर सकेंगे कि कर प्राधिकरण द्वारा जांच करने की समय-सीमा बीत चुकी है।
ऐसा प्राधिकरण ने 10 मार्च को दाखिल किए गए दस्तावेजों में कहा गया है, जो उजागर नहीं हुए हैं।
आरोप
क्या है कंपनी पर आरोप?
फॉक्सवैगन की इकाई स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया पर आरोप है कि उसने उच्च टैरिफ से बचने के लिए ऑडी, फॉक्सवैगन और स्कोडा की कुछ कारों के आयातित घटकों को गलत तरीके से वर्गीकृत किया है।
सरकार की टैक्स मांग के खिलाफ कार निर्माता ने बोम्बे हाई कोर्ट में अपील की है।
उसने कर मांग को खारिज करने के लिए शिपमेंट समीक्षा में देरी करने में कर अधिकारियों की 'निष्क्रियता और ढिलाई' का तर्क दिया है।