इन कारोबारियों के लिए अच्छा नहीं रहा 2019, कोई जेल गया तो किसी ने की आत्महत्या
साल 2019 कर्ज में डूबे कारोबारियों के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ और कुछ बड़े कारोबारी जेल गए तो कुछ जेल जाते-जाते बचे। नया बैंकरप्सी कानून में कर्ज में डूबी कंपनियों की संपत्ति जब्त करने की शक्तियां मिलने के बाद अधिकारियों और कर्जदाताओं ने कई नामी-गिरामी कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। आइए ऐसे ही कुछ बड़े कारोबारियों के बारे में आपको बताते हैं जिनके सितारे 2019 में गर्दिश में रहे।
बाल-बाल जेल जाने से बचे अनिल अंबानी
इस सूची में सबसे बड़ा नाम है रिलायंस ग्रुप के प्रमुख अनिल अंबानी का। पहले से ही कर्ज में डूबे अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट ने एरिकशन AB की भारतीय इकाई को उसके बकाया 7.7 करोड़ डॉलर चुकाने या फिर जेल जाने का आदेश दिया क्योंकि उसकी निजी जिम्मेदारी ली थी। मामले में अनिल को जेल की हवा खानी पड़ सकती थी लेकिन उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने उनका कर्ज उतारकर उन्हें बचाया।
जेल गए फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह
फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और उनके भाई शिविंदर सिंह के लिए भी 2019 नहीं रहा और उन्हें जेल जाना पड़ा। दरअसल, 2018 में एक नियमित संस्था ने दोनों भाईयों पर कंपनी बोर्ड के अप्रूवल के बिना 500 करोड़ रुपए निकालने का आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों भाई एक-दूसरे के खिलाफ हो गए। उनकी मां ने दोनों के बीच समझौता कराने की असफल कोशिश भी की, लेकिन फरवरी में दोनों फोर्टिस से अलग हो गए।
अक्टूबर में गिरफ्तार किए गए दोनों भाई
इसके बाद अक्टूबर में दोनों भाईयों को उनके नियंत्रण वाले एक कर्जदाता से प्राप्त 33.7 करोड़ डॉलर की राशि को फर्जी तरीके से डावयर्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
दिवालिया हुई एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड
इस साल एक लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड दिवालिया हो गई और इसका मालिकाना हक आर्सेलर मित्तल के पास चला गया। शशिकांत रूईया और रविकांत रूईया के इस समूह को मार्च में ब्रिटेन की एक कोर्ट ने दस्तावेज छुपाने के लिए फटकार भी लगाई। इससे पहले समूह को 2017 में अपनी एक और कंपनी एस्सार ऑयल को भी बेचना पड़ा था। 1969 पर शुरू हुई एस्सार समूह पर भारी कर्ज हो गया था।
कर्ज के कारण 'कैफे कॉफी डे' के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने की आत्महत्या
'कैफे कॉफी डे' के मालिक वीजी सिद्धार्थ को कौन भूल सकता है जिन्होंने कर्ज के कारण इस साल एक नदी में कूद कर आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइर लेटर में उन्होंने कर्जदाताओं के दबाव और आयकर अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के बारे में बताया। पिछले दो सालों में उन्होंने कैफे कॉफी डे के शेयरों को गिरवी रखकर कम समय वाले लोन्स को रिफाइनेंस कराया था। लेकिन अंत में वो कंपनी को कर्ज से नहीं बचा सके और आत्महत्या कर ली।
नरेश गोयल को देना पड़ा जेट एयरवेज के चेयरमैन के पद से इस्तीफा
भारत की पहली निजी कंपनी जेट एयरवेज खड़े करने वाले नरेश गोयल के लिए भी ये साल अच्छा नहीं रहा। जेट एयरवेज पर करीब 26 बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था और उनके दबाव में नरेश गोयल को मार्च में कंपनी के चेयरमैन के पद से इस्तीफा देना पड़ा। जुलाई में कोर्ट ने उनके विदेश जाने पर भी रोक लगा दी क्योंकि उनके खिलाफ जेट एयरवेज से जुड़े एक घोटाले में जांच चल रही है।
'यस बैंक' के CEO राणा कपूर को भी देना पड़ा इस्तीफा
2019 'यस बैंक' के संस्थापक राणा कपूर के लिए भी अच्छा नहीं रहा। ये पता चलने के बाद कि बैंक ने अपने बेड लोन्स के बारे में लगातार गलत जानकारी दी थी और उन्हें कम करके बताया था, देश के बैंक रेगुलेटर ने CEO के तौर पर उनके कार्यकाल को बढ़ाने से इनकार कर दिया। इसके कारण कपूर को जनवरी में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और अक्टूबर में बैंक में अपने सारे शेयर बेच दिए।
सुभाष चंद्रा ने दिया जी एंटरटेनमेंट के चेयरमैन पद से इस्तीफा
एस्सेल समूह के मालिक और मीडिया मुगल के नाम से चर्चित रहे सुभाष चंद्रा को नवंबर में जी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइज लिमिटेड के चेयरमैन के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इससे पहले पिछले कुछ महीने से वो एस्सेल समूह का कर्ज चुकाने के लिए जी इंटरटेनमेंट में अपने शेयर बेच रहे थे। बता दें कि जी मीडिया के जरिए ही चंद्रा देश के कोने-कोने में पहुंचे थे और अंत में उन्हें इसी से हाथ धोना पड़ा।