बिक्री के मामले में रफ्तार नहीं पकड़ सकीं ये गाड़ियां, कंपनियों को करनी पड़ी बंद
हम हर तरफ रोज नए बदलाव देख रहे हैं अब चाहे वह गाड़ियां हो या कुछ और। तेजी से बदलते ऑटो सेक्टर में हमें हर महीने नई-नई गाड़ियां देखने को मिल जाती हैं, परंतु यह जरुरी नहीं कि सभी गाड़ियां बाजार में सफल साबित हों। भारत जैसे प्रतिस्पर्धी बाजार में कार निर्माताओं ने बहुत कुछ सीखा है। यहां पिछले 10 सालों में भारतीय बाजार में फ्लॉप हुई गाड़ियों की सूची दी गई है, जो आपको पुरानी यादों में ले जाएगी।
महिंद्रा क्वांटो : 2020 में बंद कर दी गई
महिंद्रा 2012 में क्वांटो SUV को बाजार में लाई थी। इस मिनी साइज SUV की कीमत महिंद्रा ने 5.82 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) रखी थी। क्वांटो महिंद्रा की जायलो के प्लेटफॉर्म पर बेस्ड सब-4m SUV थी, जो शहरी मध्यम वर्ग को कम बजट में बड़ी और ऊँची गाड़ी की फील देती थी। इसमें 100PS की पावर वाला 1.5 लीटर का डीजल इंजन दिया गया था। ये गाड़ी बाजार में अपनी जगह बनाने में नाकाम रही और इसका उत्पादन बंद करना पड़ा।
निसान इवलिया : 2015 में बंद किया गया उत्पादन
निसान ने इवलिया 2012 में लॉन्च की थी। यह एक MPV थी, इसमें पीछे खिसकने वाले दरवाजे थे, जो इसे ओमनी वैन जैसा लुक देते थे। इसमें डीजल इंजन दिया गया था जो 84PS की पावर और 200Nm का टॉर्क देता था। कंपनी ने इसकी शुरुआती कीमत 8.49 लाख रुपये रखी थी। 2015 में इवलिया को बंद करते हुए कंपनी के प्रवक्ता ने कहा था कि इवलिया का डिजाइन "अनकन्वेंशनल' था जिसकी वजह से लोग इसकी तरफ नहीं आए।
शेवरले एंजॉय : 2016 में बंद कर दी गई
शेवरले एंजॉय भी एक तीन पंक्ति वाली 7-सीटर गाडी थी, जो 6.52 लाख रुपये की शुरुआती कीमत होने के बावजूद भारतीय ऑटो बाजार में अपनी धाक जमाने में असफल रही। एन्जॉय को 2013 में भारतीय बाजार में शेवरले की पहली MPV के रूप में पेश किया गया था, लेकिन कम बिक्री के परिणामस्वरूप 2016 में इसे बंद कर दिया गया। जनरल मोटर्स ने 2017 में ही भारतीय बाजार से शेवरले ब्रांड को वापस लेने का भी फैसला किया था।
डैटसन गो/गो+ : 2016 से 2022 तक रहा सफर
पिछले सालों में गिरती हुई सेल्स को देखते हुए निसान ने हाल ही में अपनी किफायती सब-ब्रांड डैटसन को बंद करने का फैसला लिया है। इसी के साथ एंट्री-लेवल GO हैचबैक और इसके 7-सीटर वेरिएंट GO+ का उत्पादन भी बंद कर दिया गया है। 2014 में डैटसन गो को देश में पेश किया गया था। ये दोनों ही गाड़ियां 1.2 लीटर के इंजन के साथ आती थीं जो 67PS पावर और 104Nm टॉर्क जनरेट करता था।
क्या है MPV और SUV सेगमेंट ?
MPV का मतलब मल्टी पर्पज व्हीकल है, जिसे कभी-कभी मिनीवैन या पीपल कैरियर भी कहा जाता है। SUV एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल है। ये ऐसे वाहन हैं जिन्हें ऑफ-रोड पर चलाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है।
महिंद्रा वेरिटो वाइब : 2013 से 2019
महिंद्रा वेरिटो वाइब एक सब-4m हैचबैक थी, जो वेरिटो के सेडान मॉडल पर आधारित थी। महिंद्रा ने इसे 2013 में लॉन्च किया था। वेरिटो सेडान मॉडल की तरह ही इस हैचबैक में भी 1.5 लीटर का डीजल इंजन दिया गया था जो 65PS की पावर और 160Nm का टॉर्क देता था। इसकी शुरुआती कीमत कंपनी ने 6.55 लाख रुपये रखी थी। महिंद्रा इस हैचबैक को कभी भी बड़ी संख्या में बेचने में कामयाब नहीं हुई।
शेवरले सेल : 2012 से 2017
यह GM (जनरल मोटर्स) और SAIC के संयुक्त उद्यम से भारत में पहली गाड़ी थी। शेवरले सेल UV-A को जनरल मोटर्स 2012 में भारत लेकर आई थी। यह 1.2 लीटर पेट्रोल इंजन और 1.3 लीटर डीजल इंजन में उपलब्ध थी। इसने बाजार में मारुती सुजुकी स्विफ्ट और फोर्ड फिगो जैसी गाड़ियों को टक्कर दी थी। शेवरले ने स्विफ्ट डिजायर को टक्कर देने के लिए सेल का एक सेडान वेरिएंट भी पेश किया था जो उस समय काफी लोकप्रिय रहा था।
टाटा बोल्ट और जेस्ट : 2014 से 2019
टाटा 2014 में अपनी ब्रांड वैल्यू सुधरने के लिए हैचबैक सेगमेंट में बोल्ट और सेडान सेगमेंट में जेस्ट लेकर आई थी। दोनों ही सब-4m गाड़ियां अपने समय में अच्छे लुक्स के साथ लॉन्च की गई थी, परन्तु इनकी सेल्स में इजाफा न होने की वजह से टाटा मोटर्स ने नई सब-4m टाटा टियागो को बाजार में पेश किया। टाटा टियागो की सफलता से इन दोनों गाड़ियों को टाटा ने 2019 में बंद कर दिया था।
निसान टेरानो : 2013 से 2019
रेनो डस्टर पर बेस्ड निसान टेरानो को स्टाइल में बदलाव कर 2013 में लॉन्च किया था, लेकिन यह डस्टर की तरह बाजार में रफ़्तार नहीं पकड़ पाई। 2015 में हुंडई क्रेटा की लॉन्च ने इसकी सेल्स को और भी ज़्यादा गिरा दिया। निसान ने 2019 में किक्स SUV पेश की, जिसने टेरानो की सेल्स को और अधिक प्रभावित किया। 2020 में आधिकारिक तौर पर टेरानो को बंद कर दिया गया।