कितने प्रकार की होती हैं कार की चेसिस? इससे जुड़ी ये जानकारियां देंगी आपको कई फायदे
चेसिस कार का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इस पर कम ही ध्यान दिया जाता है। इसके बारे में बहुत कम लोग जानते और परवाह करते हैं। माना कि हमारे पास यह चुनने का विकल्प नहीं है कि हम अपनी कार पर किस चेसिस का उपयोग करना चाहते हैं, लेकिन इसकी जानकारी होने से आपको मालूम होगा कि आपकी कार की क्षमताएं और सीमाएं क्या हैं। कार चेसिस के मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं।
किसे कहते हैं चेसिस?
चेसिस, एक कार की नींव को कहा जाता है जो इसे नीचे से सहारा देती है। इसे 'कार फ़्रेम' के नाम से भी जाना जाता है। चेसिस कार के भार को उसकी निष्क्रिय और गतिशील अवस्था में वहन करती है।
लैडर फ्रेम चेसिस
सबसे पुराने चेसिस में से एक लैडर चेसिस का नाम इसके सीढ़ी की तरह आकार के कारण पड़ा है। इसमें दो लंबे और भारी बीम होते हैं जिन्हें दो छोटे बीमों से जोड़कर एक फ्रेम जैसा आकार दिया गया है। लैडर चेसिस का निर्माण में आसान होना इसकी बिक्री की मुख्य वजह थी। लैडर चेसिस काफी भारी होता है और उन वाहनों में उपयोग किया जाता है जिन्हें भारी सामान ढोने की आवश्यकता होती है।
बैकबोन चेसिस
इसका नाम भी इसके डिजाइन से मिलता है। इस चेसिस में बीच से होकर गुजरने वाली एक क्रॉस-सेक्शन बेलनाकार ट्यूब होती है जो आगे और पीछे के सस्पेंशन को जोड़ती है। यह स्कोडा रैपिड और DMC डीलोरियन जैसी कारों में प्रयोग किया गया है। इस चेसिस की बेलनाकार ट्यूब ड्राइवशाफ्ट को कवर करती है जिससे यह क्षतिग्रस्त होने से सुरक्षित हो जाता है, लेकिन ड्राइवशाफ्ट की रिपेयरिंग के चेसिस को खोलना पड़ता है जो बड़ी मुशकिल खड़ी कर देता है।
मोनोकोक चेसिस
यह एक यूनीबॉडी संरचना है। मोनोकोक एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब 'सिंगल शेल' या 'सिंगल हल' होता है। मोनोकॉक का इस्तेमाल पहले जहाजों और फिर हवाई जहाजों में किया जाता था। मोनोकॉक चेसिस कार के चारों ओर एक खोल होता है जो पूरी तरह एक ही फ्रेम में बनाया गया होता है, इसमें अलग से कोई टुकड़ा नहीं जोड़ा जाता। लैडर फ्रेम और बैकबोन चेसिस की तुलना में यह अभी सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला चेसिस है।
ट्यूबलर चेसिस
ट्यूबलर चेसिस का उपयोग मुख्य रूप से रेस कारों में किया जाता था क्योंकि वे बेजोड़ सुरक्षा प्रदान करते थे। इन्हें लैडर चेसिस से अपग्रेड कर थ्री डायमेंशनल बनाया गया था, जिससे ये लैडर चेसिस से ज्यादा मजबूत हुआ करते थे। इन्हें अधिक क्षमता देने के लिए इनके दरवाजों के नीचे एक मजबूत संरचना का प्रयोग किया जाता था। पैसेंजर कारों में ट्यूबलर चेसिस का प्रयोग बहुत ही कम किया जाता है। इनके निर्माण में बहुत अधिक समय लगता है।