होंडा अब निसान के अधिग्रहण को फिर तैयार, रख दी यह शर्त
क्या है खबर?
जापानी कार निर्माता होंडा और निसान के विलय के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। पिछले दिनों खारिज हुआ यह विलय प्रस्ताव होंडा के यू-टर्न के बाद फिर से जिंदा होता नजर आ रहा है।
होंडा अब निसान के अधिग्रहण की वार्ता को फिर से शुरू करने को तैयार है, लेकिन उसने इसके लिए एक शर्त रख दी है।
कंपनी निसान के मौजूदा प्रमुख को पद से हटाने के बाद वार्ता आगे बढ़ाना चाहती है।
कारण
होंडा ने इस कारण रखी शर्त
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि होंडा ने शर्त रखी है कि निसान के मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) मकोटो उचिदा पद छोड़ दें।
इसके बाद वह नए प्रमुख के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने को तैयार है, जो आंतरिक विरोध को प्रभावी ढंग से संभाल सकता है।
उचिदा ने होंडा के साथ विलय का समर्थन किया था, लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनके और होंडा के CEO तोशीहिरो मिबे के बीच संबंध खराब हो गए।
दबाव
निसान CEO पर बढ़ रहा दबाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि उचिदा ने 2026 तक पद पर बने रहने का इरादा जताया था। होंडा के साथ विलय वार्ता के कुप्रबंधन के कारण निसान और रेनो के बोर्ड सदस्यों द्वारा पद छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
निसान के निदेशक मंडल ने कथित तौर पर उचिदा के पद छोड़ने के समय के संबंध में अनौपचारिक चर्चा भी शुरू कर दी है।
होंडा की नई शर्त के बाद यह दबाव और बढ़ता दिख रहा है।
खारिज
इस कारण खारिज हुआ था प्रस्ताव
होंडा और निसान के बीच प्रस्तावित विलय की चर्चा इस महीने की शुरुआत में खारिज हो गई।
होंडा की मांग थी कि निसान एक नई संयुक्त कंपनी स्थापित करने के बजाय उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन जाए, जहां दोनों वाहन निर्माताओं को बराबरी का दर्जा मिलेगा।
दूसरी तरफ निसान को होंडा की सहायक कंपनी बनने में अपना अस्तित्व खोने की आशंका होने लगी। इस प्रस्ताव का कंपनी के भीतर कड़ा विरोध हुआ, जिसके बाद विलय प्रस्ताव अटक गया।