फोर्ड वापस बुला रही है इकोस्पोर्ट और फिगो सहित ये गाड़ियां, डीजल फिल्टर में आई खराबी
क्या है खबर?
फोर्ड मोटर्स भारत में उपलब्ध अपनी फिगो, इकोस्पोर्ट, फ्रीस्टाइल और एस्पायर जैसी गाड़ियों के BS6 वेरिएंट को वापस बुला रही है।
डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर (DPF) में आई खराबी की जांच के लिए कंपनी ने यह वाहन रिकॉल किया है।
बताया जा रहा है कि खराब फिल्टर के कारण इन गाड़ियों में तेल की खपत अधिक होगी और इसका असर गाड़ी की माइलेज पर पड़ेगा।
आइये इस बारे में जानते हैं।
जांच
फोर्ड मालिक नजदीकी फोर्ड सर्विस सेंटर में करा सकते हैं जांच
जानकारी के अनुसार, प्रभावित वाहनों के मालिकों से कंपनी सीधे मेल या कॉल के जरिए संपर्क करेगी।
वापस बुलाए जा रहे सभी वाहनों को नए कैटेलिटिक कनवर्टर और O2 सेंसर के साथ अपडेट भी किया जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया में आधे दिन का कम समय लगेगा और इसके लिए कंपनी ने कई स्लॉट जारी किए हैं।
वाहन मालिक दिए गए स्लॉट के मुताबिक अपने नजदीकी फोर्ड सर्विस सेंटर में जाकर अपनी गाड़ी की जांच करा सकते हैं।
जानकारी
अपने वादे पर कायम है कंपनी
भारत में अपना उत्पादन बंद करने के बाद भी फोर्ड अपने वादे पर कायम है और ग्राहकों को सर्विस दे रही है।
दरअसल पिछले कुछ सालों से भारत में फोर्ड को भारी नुकसान हुआ था। देश में कम मांग के चलते कंपनी के साणंद प्लांट में कुल क्षमता का 20 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा था, जिससे लागत बढ़ रही थी।
हालांकि, कंपनी चुनिंदा आउटलेट्स के जरिये भारत में मस्टैंग कूपे और मस्टैंग जैसी चुनिंदा कारों की बिक्री करेगी।
इकोस्पोर्ट
इसी महीने रोलआउट हुई है आखिरी इकोस्पोर्ट
इसी महीने कंपनी की अंतिम फोर्ड इकोस्पोर्ट कार भी रोलआउट हुई थी। चेन्नई स्थित फोर्ड प्लांट में अब तक इस कार उत्पादन जारी था, जो अंतिम इकोस्पोर्ट्स रोलआउट के साथ ही बंद हो गया है।
भारत में ईकोस्पोर्ट कंपनी की सबसे लोकप्रिय गाड़ी रही है और इसे 2013 में लॉन्च किया गया था। शुरुआती सालों में इकोस्पोर्ट की न केवल भारत में शानदार बिक्री रही बल्कि निर्यात बाजार में भी फोर्ड इंडिया को इससे बहुत मुनाफा हुआ था।
न्यूजबाइट्स प्लस
पिछले साल अप्रैल में रिकॉल पॉलिसी को किया गया था अनिवार्य
बीते साल परिवहन मंत्रालय ने मोटर वाहन एक्ट (1988) में संशोधन कर वाहन कंपनियों के लिए रिकॉल पॉलिसी को अनिवार्य बना दिया था। इसके तहत ग्राहक व्हीकल रिकॉल पोर्टल के जरिए वाहनों से जुड़ी गड़बड़ियों की शिकायत कर सकते हैं।
वाहन में गड़बड़ी पाए जाने पर निर्माताओं को अनिवार्य रूप से वाहन रिकॉल जारी करना होगा। अगर कोई कंपनी रिकॉल करने से मना करती है तो उस पर 10 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है।