फोर्ड से लेकर जनरल मोटर्स तक, भारतीय बाजार को अलविदा कह चुकी हैं ये ऑटो कंपनियां
बीते पांच सालों में दुनिया की कई दिग्गज ऑटोमोबाइल कपनियों ने भारत से कारोबार समेट लिया है। इन कंपनियों के फेल होने का सबसे बड़ा कारण भारतीय बाजार को न समझ पाना था। देश में बजट सेगमेंट की गाड़ियों की सबसे अधिक मांग है, लेकिन कई कंपनियां इस बात को समझ नहीं पाईं और इस सेगमेंट पर ध्यान नहीं दिया। आइये, आज ऐसी ही पांच कंपनियों के बारे में जानते हैं जिन्होंने भारत में अपना कारोबार बंद कर लिया है।
जनरल मोटर्स
जनरल मोटर्स (GM) ने 2017 से भारत में अपनी बिक्री बंद कर चुकी है। जानकारी के बता दें कि कंपनी बिना किसी बड़े बदलाव के अपनी टवेरा कार को 14 सालों तक बेचती रही। बदलाव न मिलने से ग्राहक इससे दूर होते चले गए और इस वजह से कंपनी की बिक्री गिरती चली गई। GM भारतीय बाजार को समझ नहीं पाई और इस वजह से बजट सेगमेंट की गाड़ियां भारत में लॉन्च नहीं की।
फोर्ड मोटर कंपनी
फोर्ड मोटर्स ने भारतीय बाजार से अपना कारोबार 2021 में समेट लिया और गुरुवार को कंपनी की आखिरी इकोस्पोर्ट कार रोलआउट हुई। अमेरिका की यह कंपनी लंबे समय से देश में भारी नुकसान उठा रही थी। इस वजह से कंपनी ने अक्टूबर, 2021 में साणंद प्लांट में उत्पादन बंद किया था। हालांकि, चेन्नई स्थित फोर्ड प्लांट में अब तक उत्पादन जारी था, जो अंतिम इकोस्पोर्ट रोलआउट के साथ ही बंद हो गया है।
हार्ले डेविडसन
हार्ले डेविडसन ने 2020 में भारतीय बाजार को अलविदा कह दिया था। कोरोना महामारी के दौरान दौरान कंपनी को भारतीय बाजार में काफी नुकसान हुआ और इस वजह से कंपनी अपना उत्पादन बंद करने का फैसला लिया। हालांकि, हार्ले भारतीय निर्माता हीरो मोटोकॉर्प के साथ साझेदारी कर चुकी है। इसके तहत कंपनी अपनी बाइक्स की बिक्री हीरो के शोरूम से करती है। बता दें कि कंपनी ने भारत में केवल 10 साल ही पूरे किए थे।
फिएट
मार्च, 2019 के आस-पास इटैलियन वाहन निर्माता फिएट ने भी भारतीय बाजार से अपना कारोबार समेट लिया। भारत में कंपनी पंटो, लीनिया और पुंटो EVO जैसी गाड़ियों की बिक्री करती थी। जानकारी के अनुसान, 1990 के आस-पास कंपनी ने भारत में जबरदस्त गाड़ियों की बिक्री की। इसके बाद फीचर्स की कमी और अधिक तेल की खपत के कारण कंपनी की गाड़ियां की बिक्री कम होती गई और कंपनी को अपना उत्पादन बंद करना पड़ा।
अमेरिका यूनाइटेड मोटर्स (UM)
अमेरिका यूनाइटेड मोटर्स (UM) ने लोहिया मोटर्स के साथ साझेदारी कर भारतीय बाजार में कदम रखा था। लेकिन कंपनी की बाइक्स भारतीय ग्राहकों को लुभा नहीं पाई। कंपनी की कई बाइक्स में लगातार खराब क्वालिटी की शिकायतें आईं। इस वजह से यह कंपनी भारत में जम नहीं पाई। भारतीय बाजार में इस कंपनी को लगभग 150 करोड़ का नुकसान हुआ और अक्टूबर 2019 में कंपनी ने यहां से अपना कारोबार समेट लिया।