5G से कितनी अलग होगी 6G? जानें इसके फायदे और संभावित खतरे
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर 5G टेक्नोलॉजी के तेजी से प्रसार की तारीफ की और कहा कि इंटरनेट अब हर गांव तक पहुंच रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब 6G टेक्नोलॉजी लाने की तैयारी कर रहा है और इसके लिए एक कार्यबल का गठन किया गया है।
जान लेते हैं 5G के मुकाबले 6G में क्या अंतर होगा और इसके जरिए किन नई सुविधाओं का विकास होगा।
नेटवर्क
5G की स्पीड से बढ़ा था ऑटोनॉमस वाहनों का विकास
5G सेलुलर नेटवर्क टेक्नोलॉजी की पांचवी पीढ़ी का नेटवर्क है और यह 4G LTE के बाद आता है। 5G और उससे पहले के नेटवर्क 4G की स्पीड में सबसे बड़ा अंतर स्पीड का है।
पांचवी पीढ़ी के नेटवर्क की स्पीड 10 गीगाबिट्स प्रति सेंकेंड (Gbps) तक की है, जबकि 4G LTE की अधिकतम स्पीड 300 मेगाबिट्स प्रति सेंकेंड (Mbps) तक ही है।
5G टेक्नोलॉजी की स्पीड से ही ऑटोनॉमस वाहन, स्मार्ट सिटी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स का विकास हुआ।
स्पीड
5G से तेज होगी 6G की स्पीड
6G सेलुलर नेटवर्क की छठवीं पीढ़ी है और वर्ष 2030 तक इसके उपलब्ध होने की उम्मीद है। इसकी स्पीड 5G से भी तेज होगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की प्रयोगशाला में इसकी प्रति सेकेंड 206.25 Gbps की स्पीड से जुड़ी रिपोर्ट मौजूद है।
रिपोर्ट की मानें तो 6G का लेटेंसी रेट भी बहुत कम है और इसका कवरेज भी बेहतर होगा। माना जा रहा है कि 6G से ऑटोमेशन में और तेजी आएगी।
सुविधाएं
ये हैं 6G की क्षमताएं
यह बहुत कम समय में अधिक डाटा ट्रांसफर करने में सक्षम है। ऐसे में 6G आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), AR/VR, वर्चुअल हेल्थकेयर को नए स्तर पर ले जाएगी।
6G के बारे में कहा जाता है कि यह 5G की तुलना में 100 गुना अधिकतम स्पीड प्रदान करेगी।
इस नए नेटवर्क से उद्योगों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसकी तेज स्पीड स्मार्ट कारखानों और रोबोटिक्स की सुविधा प्रदान करेगी।
कहा जा रहा है कि इससे चौथी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत होगी।
खतरे
फायदे के साथ ये हैं 6G के खतरे
6G नेटवर्क के अनगिनत फायदों के साथ खतरे भी हैं।
इसमें अभी तक के अन्य नेटवर्क के मुकाबले अटैक के लिए एक बड़ा सरफेस होगा। दूसरी तरफ इसके अधिक जटिल उपयोग के मामले होंगे, जो सुरक्षा से जुड़ी नई खामियां पैदा कर सकते हैं।
6G नेटवर्क के लिए ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर पर बढ़ती निर्भरता अतिरिक्त सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती है।
इन जोखिमों को कम करने के लिए संगठनों को अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना होगा।