वित्तीय कंपनियों पर बढ़े क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स के मामले, क्रिप्टो माइनिंग के लिए हो रहा इस्तेमाल
क्या है खबर?
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए कंप्यूटर नेटवर्क्स इस्तेमाल करने की कोशिश में हैकर्स ने वित्तीय कंपनियों पर क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स बढ़ा दिए हैं।
बैंक्स और ट्रेडिंग हाउसेज पर ऐसे अटैक्स के मामले हाल के दिनों में तेजी से बढ़े हैं और वित्तीय कंपनियों की चिंता बढ़ा रहे हैं।
अटैक के बाद इन कंपनियों के ताकतवर नेटवर्क्स का इस्तेमाल क्रिप्टो माइनिंग के लिए किया जा रहा है।
इन अटैक्स की जानकारी साइबर सुरक्षा फर्म सोनिकवॉल ने दी है।
रिपोर्ट
करीब तीन गुना बढ़ गए हैं क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय कंपनियों पर क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स के मामले तीन गुना तक बढ़े हैं।
साल की पहली छमाही में ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं और साइबर अपराधी इनके लिए खास तरह के मालवेयर की मदद ले रहे हैं।
रिपोर्ट में सामने आया है कि ऐसे इवेंट्स की संख्या करीब 30 प्रतिशत बढ़कर 6.67 करोड़ पर पहुंच गई है।
अटैक्स का मकसद क्रिप्टोकरेंसी जुटाना और नेटवर्क्स को नुकसान पहुंचाना होता है।
तरीका
मालवेयर से मिलता है नेटवर्क्स का ऐक्सेस
क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स में साइबर अपराधियों को मालवेयर का इस्तेमाल करते हुए कंप्यूटर नेटवर्क्स का ऐक्सेस मिल जाता है।
बाद में इन नेटवर्क्स और कंप्यूटर पावर का इस्तेमाल बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज माइन करने के लिए किया जाता है।
बता दें, क्रिप्टो माइनिंग प्रक्रिया में महंगे कंप्यूटर्स, उपकरणों और ढेर सारी बिजली की जरूरत होती है और बड़े कंप्यूटर नेटवर्क्स की मदद से हैकर्स के लिए यह काम आसान हो जाता है।
खतरा
विक्टिम को नहीं मिलती हैकिंग की जानकारी
क्रिप्टोजैकिंग अटैक का शिकार बनने वाले विक्टिम को पता नहीं चल पाता कि उसका नेटवर्क माइनिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
वित्तीय कंपनियों पर रीटेल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स होते हैं और रीटेल दूसरा सबसे ज्यादा निशाना बनाया जाने वाला सेक्टर है।
कंपनियां अपनी ऐप्लिकेशंस क्लाउड-बेस्ड सिस्टम्स के साथ इस्तेमाल कर रही हैं, जिसका फायदा उठाते हुए हैकर्स कॉर्पोरेट सर्वर्स, वाई-फाई नेटवर्क्स और दूसरे डिवाइसेज में मालवेयर भेज देते हैं।
बदलाव
रैंसमवेयर के मुकाबले क्रिप्टोजैकिंग से फायदा
क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स बढ़ने की एक वजह इससे भी जुड़ी है कि सरकार रैंसमवेयर अटैक्स को निष्क्रिय करने में सफल रही है, जिसके चलते अटैकर्स अपने तरीके बदल रहे हैं।
रैंसमवेयर में सिस्टम विक्टिम के लिए लॉक हो जाता है और अटैकर उससे कॉन्टैक्ट करता है, लेकिन क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स बिना विक्टिम को इसका पता चले किए जाते हैं।
साइबर हमले के जरिए होने वाला नुकसान अटैकर को ज्यादा फायदा देता है और विक्टिम इसे रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाता।
राहत
कुल क्रिप्टोजैकिंग अटैक्स में दिखी गिरावट
सोनिकवाल ने राहत देने वाले कुछ आंकड़े भी शेयर किए हैं।
साल की दूसरी तिमाही में क्रिप्टोजैकिंग के मामले पहले तीन महीनों के मुकाबले 50 प्रतिशत से ज्यादा कम हुए हैं और 2.16 करोड़ पर पहुंचे हैं।
हालांकि, ऐसा ट्रेंड पहले भी देखने को मिला है, जब अटैकर्स साल की दूसरी और तीसरी तिमाही में ज्यादा सक्रिय नहीं रहते और आखिरी तीन महीनों में ऐसे अटैक्स की संख्या बढ़ा देते हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
ट्रेडिंग और क्रिप्टोकरेंसी ऐप्स इस्तेमाल करते हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है। साइबरसिक्योरिटी फर्म सोफोस (Sophos) ने कहा है कि इसने करीब 167 फेक ऐप्स का पता लगाया है, जिनका इस्तेमाल कर साइबर क्रिमिनल्स यूजर्स के पैसे चुराने की कोशिश कर रहे थे।