गुरबाणी का निशुल्क प्रसारण करने के पंजाब सरकार के फैसले पर छिड़ा विवाद, जानिए पूरा मामला
क्या है खबर?
पंजाब सरकार अमृतसर के श्री हरमिंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) से जुड़े 98 साल पुराने कानून में संसोधन करने जा रही है। इसके तहत स्वर्ण मंदिर में होने वाली गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त होगा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, 'सरकार सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करने जा रही है।' मान सरकार के इस ऐलान के बाद विपक्ष भड़का गया है।
आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।
मामला
क्या है मामला?
पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से पवित्र गुरबाणी का निशुल्क प्रसारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करने जा रही है।
सरकार ने कहा कि गुरबाणी को एक चैनल तक सीमित रखने के बजाय इसका निशुल्क प्रसारण किया जाना चाहिए।
अभी स्वर्ण मंदिर से गुरबानी प्रसारित करने का अधिकार सिखों के सर्वोच्च निकाय और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा PTC नेटवर्क को प्रदान किया गया है।
सरकार
पंजाब सरकार ने क्या कहा?
पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने अपने ट्वीट में लिखा, 'ईश्वर के आशीर्वाद से हम एक ऐतिहासिक निर्णय लेने जा रहे हैं। दुनियाभर के सिख समुदाय की मांग के अनुरूप हम सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में एक नया खंड जोड़ रहे हैं कि हरमिंदर साहिब से गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त होगा।'
उन्होंने लिखा, 'किसी टेंडर की जरूरत नहीं है। 20 जून को विशेष सत्र के दौरान कैबिनेट में यह प्रस्ताव पेश किया जाएगा।'
बयान
SGPC प्रमुख ने सरकार के फैसले पर जताई आपत्ति
SGPC प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने मान सरकार के सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन और गुरबाणी का प्रसारण निशुल्क करने के ऐलान पर आपत्ति जताई है।
उन्होंने अपने बयान में कहा, "मुख्यमंत्री मान जी को सिखों के धार्मिक मामलों को भ्रमित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। देश को अपने राजनीतिक हितों के लिए भ्रमित न करें। गुरबानी का प्रसारण सामान्य प्रसारण नहीं है। इसकी पवित्रता और नैतिकता की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।"
बयान
शिरोमणि अकाली दल ने कहा- सरकार का कदम 'असंवैधानिक'
शिरोमणि अकाली दल (SAD) के दलजीत सिंह चीमा ने इस कदम को "असंवैधानिक" बताया है।
उन्होंने कहा, "सिख गुरुद्वारा अधिनियम संसद के अधीन है और इस संबंध में निर्णय लेने के लिए SGPC का चुनाव किया गया है। क्या उपरोक्त समिति ने इस संबंध में ऐसा कोई प्रस्ताव पारित किया है? उसके बिना भी संसद इस अधिनियम में संशोधन नहीं कर सकती है। केजरीवाल के इशारे पर हो रहे इस काम को सिख समुदाय कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।"
कांग्रेस
पंजाब सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने भी खड़े किये सवाल
कांग्रेस ने भी मान सरकार के इस फैसले के विरोध में तर्क देते हुए कहा कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 संसद द्वारा बनाया गया कानून है, जिसे राज्य सरकार नहीं बदल सकती है।
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने ट्विटर पर सवाल करते हुए लिखा, 'पंजाब सरकार एक केंद्रीय अधिनियम में कैसे बदलाव कर सकती है और मुझे आश्चर्य है कि मुख्यमंत्री मान उक्त अधिनियम में एक खंड जोड़ने के लिए कैसे बोल रहे हैं।'
राजनीतिक
इस फैसले के क्या हैं राजनीतिक मायने?
अभी SGPC द्वारा गुरबाणी के प्रसारण का अधिकार राजनीतिक रूप से शक्तिशाली बादल परिवार के स्वामित्व वाले PTC नेटवर्क को दिया गया है।
माना जा रहा है कि सरकार का यह फैसला पंजाब में राजनीतिक रूप से विपक्षी पार्टी SAD के वर्चस्व को भी कम करेगा।
इससे पहले जब भी मान ने गुरबाणी के प्रसारण को मुफ्त करने का प्रस्ताव दिया था तो SGPC, बादल परिवार और SAD ने इसका विरोध किया था।