लोकसभा चुनावः आज शाम से दिखाए जाएंगे एग्जिट पोल, जानिये इनके बारे में बड़ी बातें
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण के तहत मतदान जारी है। इस चरण के तहत एक केंद्र शासित प्रदेश और 7 राज्यों की 59 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं।
मतदान खत्म होते ही मीडिया में एग्जिट पोल की बाढ़ आ जाएगी। हर मीडिया संगठन अपने एग्जिट पोल के आधार पर नई सरकार को लेकर अनुमान लगा रहा होगा।
इन सबके बीच यह जानना जरूरी है कि एग्जिट पोल क्या होते हैं और ये कैसे किए जाते हैं?
एग्जिट पोल
क्या होते हैं एग्जिट पोल
एग्जिट पोल तब होता है जब वोटर अपना वोट देकर बूथ से निकल रहा होता है। उस वक्त वोटर से पूछा जाता है कि उसने किसको वोट दिया है।
इस पोल में अलग-अलग वोटरों की राय लेकर उस जानकारी का विश्लेषण किया जाता है।
हालांकि, एग्जिट पोल वैज्ञानिक तरीकों से नहीं किए जाते हैं इसलिए इनके नतीजे गलत होने की संभावना ओपिनियन पोल से ज्यादा रहती है।
एग्जिट पोल चुनाव खत्म होने के बाद दिखाए जाते हैं।
तरीके
इन तरीकों से किए जाते हैं एग्जिट पोल
भारत में अलग-अलग एजेंसियां अपने-अपने तरीकों से एग्जिट पोल करती है। इनमें सबसे साधारण तरीका सैंपलिंग है।
कई एजेंसियां राज्य स्तर, कई एजेंसियां राष्ट्रीय स्तर और कुछ एजेंसियां सिस्टमैटिक तरीके से सैंपलिंग करती हैं।
सैंपलिंग के अलावा क्यूब लॉ, इंडेक्स ऑफ ऑपोजिशन और प्रोबेबिलिस्टिक काउंट, ऐसे कुछ तरीके हैं जिनसे पोल कंडक्ट किया जाता है।
हालांकि, भारत जैसे बड़े देश को देखते हुए पोल करने में काफी चुनौतियां का सामना करना पड़ता है।
जानकारी
क्या एग्जिट पोल पर भरोसा किया जा सकता है?
एग्जिट पोल पूरे सटीक तरीके से चुनाव के नतीजे नहीं बता सकते पाते, लेकिन ये रूझान बता देते हैं। अगर सही प्रक्रिया अपनाकर एग्जिट पोल किए जाएं तो चुनावी नतीजों का सही अनुमान लगाया जा सकता है।
ओपिनियन पोल
एग्जिट पोल से कैसे अलग हैं ओपिनियन पोल
ओपिनियन पोल का आसान भाषा में मतलब है लोगों की राय। किसी भी विषय को लेकर जब जनता की राय मांगी जाती है तो यह ओपिनियन पोल होता है।
भारत में अधिकतर चुनावों के समय ओपिनियन पोल किए जाते हैं।
इसके लिए अलग-अलग सर्वे एजेंसियां अलग-अलग वैज्ञानिक तरीकों से लोगों की राय इकट्ठा करती है।
ओपिनियन पोल में जितने ज्यादा लोगों से उनकी राय मांगी जाएगी, इसके नतीजे उतने ही सटीक रहने की संभावना होती है।