देश में क्यों बर्बाद हो रहीं कोरोना वैक्सीन की खुराकें और इसे कैसे रोक सकते हैं?
कोरोना वायरस के मामलों में उछाल के बीच वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार चिंता का विषय बनी हुई है और 16 जनवरी को वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के बाद से गुरूवार तक 3.93 करोड़ खुराकें ही लग पाई हैं। धीमी रफ्तार के अलावा खुराकों की बर्बादी भी चिंतनीय है और अभी तक देश में 6.5 प्रतिशत खुराकें बर्बाद हो चुकी हैं। आइए आपको बताते हैं कि खुराकें क्यों बर्बाद हो रही हैं और इस बर्बादी को कैसे रोका जा सकता है।
क्यों बर्बाद हो रहीं खुराकें?
भारत में इस समय कोरोना वायरस की दो वैक्सीनों का उपयोग किया जा रहा है जिनमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' शामिल हैं। कोविशील्ड की एक शीशी में 10 खुराकें और कोवैक्सिन की एक शीशी में 20 खुराकें निकलती हैं और एक बार शीशी खुलने पर इन खुराकों का चार घंटे के अंदर इस्तेमाल करना होता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो ये खुराकें बर्बाद हो जाती हैं।
केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में लोग न आने के कारण बर्बाद हो रहीं खुराकें
भारत में वैक्सीन की खुराकों की बर्बादी का सबसे अहम कारण यही है। वैक्सीन की शीशियों को खोल तो लिया जाता है, लेकिन पर्पाय्त संख्या में लोग न आने पर इनकी खुराकें बर्बाद चली जाती हैं। दिल्ली के LNJP अस्पताल के मेडिकल निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने समझाते हुए बताया, "मान लीजिए हम शाम 6 बजे एक शीशी खोलते हैं, लेकिन कम लाभार्थियों के कारण दो लोगों की ही वैक्सीन लगती है तो हमें बाकी खुराकों को फेंकना पड़ता है।"
किस राज्य में हुईं सबसे अधिक खुराकें बर्बाद?
केंद्र सरकार अब तक सभी राज्यों को सात करोड़ से अधिक खुराकें दे चुकी है जिनमें से 3.93 करोड़ खुराकों को लोगों को लगाया जा चुका है, वहीं 23 लाख से अधिक यानि लगभग 6.5 प्रतिशत खुराकें बर्बाद हो गई हैं। पांच राज्य- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर- में राष्ट्रीय औसत से अधिक खुराकें बर्बाद हो रही हैं। 17.5 प्रतिशत बर्बादी के साथ तेलंगाना सबसे आगे है, वहीं आंध्र प्रदेश में 11.6 प्रतिशत खुराकें बर्बाद हुई हैं।
कैसे रोकी जा सकती है खुराकों की बर्बादी?
विशेषज्ञों के अनुसार, खुराकों की बर्बादी रोकने के लिए सरकार को वैक्सीनेशन की पात्रता में ढील देने होगी ताकि अभियान में तेजी आ सके और केंद्रों पर ज्यादा लोग पहुंचे। अभी केवल 60 साल से अधिक उम्र और अन्य किसी बीमारी से जूझ रहे 45 साल से अधिक उम्र के लोग वैक्सीन लगवा सकते हैं। विशेषज्ञों की मांग है कि उम्र की इस पात्रता में ढील दी जाए और इससे खुराकों की बर्बादी पर रोक लगेगी।
इस तरीके से भी बचाई जा सकेगी खुराकों की बर्बादी
विशेषज्ञों ने वैक्सीन की बर्बादी को रोकने के लिए एक तरीका और सुझाया है। उनके अनुसार वैक्सीनेशन केंद्रों के पास एक किलोमीटर दायरे में रह रहे लोगों का डाटा होना चाहिए ताकि वे फोन कर लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए बुला सके। उनका कहना है कि खुराकों को फेंकने से बेहतर गैर-पात्र लोगों को वैक्सीन लगाना है। ऐसा करके शीशियों के खुलने पर बर्बाद होने वाली खुराकों को बचाया जा सकेगा।
देश में क्या है कोरोना वायरस महामारी की स्थिति?
देशभर में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति बिगड़ती जा रही है और बीते दिन देश में लगभग 40,000 नए मामले सामने आए जो दिसंबर के बाद एक दिन में सामने आए सबसे अधिक मामले हैं। इसी के साथ कुल संक्रमितों की संख्या 1.15 करोड़ हो गई है, वहीं 1.59 लाख लोगों को इस वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामले बढ़कर 2.71 लाख हो गए हैं। अभी 19 राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।