16 लाख का पैकेज ठुकराकर सबसे कम उम्र के IES अधिकारी बने सारांश, जानिए पूरी कहानी
क्या है खबर?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने कुछ दिन पहले इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा (IES) का अंतिम परिणाम जारी किया था।
इस परीक्षा में मध्य प्रदेश के शिवपुरी के रहने वाले सारांश गुप्ता ने सफलता पाई है। उन्होंने सिर्फ 22 साल की उम्र में परीक्षा पास की है।
इसके बाद सारांश देश में सबसे कम उम्र के IES अधिकारी बन गए हैं। उन्होंने देशभर में 20वीं रैंक हासिल की है।
उनकी इस सफलता पर पूरे परिवार में जश्न का माहौल है।
परीक्षा
JEE मेन और GATE परीक्षा भी पास कर चुके हैं सारांश
सारांश बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। उन्होंने 12वीं के बाद JEE मेन और JEE एडवांस्ड दोनों परीक्षाएं पास कर ली थी।
इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में प्रवेश लिया और 2023 में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
उन्होंने कॉलेज के साथ ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी थी और अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की।
इससे पहले सारांश ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) भी पास कर चुके हैं।
नौकरी
16 लाख का पैकेज ठुकराया
BHU से इंजीनियरिंग के दौरान ही सारांश को नौकरी के कई अवसर मिलने लगे। एक कंपनी से उन्हें 16 लाख पैकेज की नौकरी का अवसर दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
सारांश ने बताया कि उन्हें शुरुआत से ही UPSC IES सेवा में जाना था। ऐसे में उन्होंने नौकरी नहीं की।
स्नातक के तीसरे साल के दौरान उन्होंने पूरा फोकस GATE पर रखा और चौथे साल में IES की तैयारी की।
पढ़ाई
ऐसे करते थे पढ़ाई
सारांश प्रतिदिन लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करते थे। हर दिन उन्हें किन-किन टॉपिकों को कवर करना है, इसका चार्ट बना लेते थे।
उन्होंने परीक्षा तैयारी के दौरान पिछले साल के प्रश्नपत्र और मॉक टेस्ट हल करने पर जोर दिया। उन्होंने पिछले 25 सालों के प्रश्नपत्र से प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के सवाल हल किए।
उनका कहना है कि नियमित रूप से अभ्यास और रिवीजन करने से ही परीक्षा में सफलता हासिल की जा सकती है।
श्रेय
माता-पिता को दिया सफलता का श्रेय
सारांश के पिता संजीव गुप्ता पंचायत सचिव के पद पर कार्यरत हैं और मां गृहिणी हैं। उनके बड़े भाई और बहन बैंक में नौकरी करते हैं।
सारांश ने अपनी सफलता का श्रेय परिवारजनों को दिया है। उन्होंने कहा, "मुझे हमेशा से घर पर पढ़ाई का माहौल मिला। माता-पिता ने हमेशा साथ दिया। वे मुझे लगातार प्रेरित करते थे।"
लगातार कड़ी मेहनत और घरवालों की मदद से सारांश ने ये मुकाम हासिल किया।