BCCI ने यो-यो फिटनेस टेस्ट को चयन मापदंड के रूप में फिर से पेश किया है। कुछ साल पहले भी टीम के सदस्यों को टीम में शामिल होने के लिए ये टेस्ट पास करना होता था। साथ ही इस बार खिलाड़ियों का डेक्सा टेस्ट भी होगा।
इस टेस्ट के जरिए खिलाड़ियों की फिटनेस और चुस्ती-फुर्ती का आकलन किया जाता है। ये एक तरह का रनिंग टेस्ट होता है जिसमें खिलाड़ियों को दो छोर (20 मीटर दूरी) के बीच तेजी से दौड़कर अपनी फिटनेस साबित करनी होती है।
यो-यो टेस्ट में कुल 23 लेवल होते हैं। खिलाड़ियों के लिए इस टेस्ट को पास करने के लिए 16.5 अंक निर्धारित किए गए हैं। टेस्ट में जिन लोगों के उच्चतम स्कोर थे, उन्हें 'सुपर फिट' माना जाता था, जबकि खराब अंक हासिल करने वालों को फिटनेस के स्तर पर काम करना होता था।
डेक्सा टेस्ट एक प्रकार का स्कैन है, जो हड्डी की ताकत को मापने के लिए एक्स-रे तकनीक के जरिए किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह पता चल सकेगा कि खिलाड़ी शारीरिक रूप (हड्डी) से कितना फिट है।
इस टेस्ट में 10 मिनट से भी कम का समय लगता है और किसी प्रकार का कोई दर्द भी नहीं होता। इस टेस्ट में दो बीम बनती है जो हड्डियों का एक्स-रे करती है, जिससे पता चल जाता है कि हड्डी की मोटाई कितनी है और उसकी मजबूती कितनी है।