पृथ्वी की सतह मुख्य तौर पर चार परतों से मिलकर बनी होती हैं। जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स भी कहा जाता है। यह प्लेट्स लगातार खिसकती रहती हैं और इसी हलचल से जब अधिक दबाव बनता है तो धरती हिलने लगती है, जिसे भूकंप कहा जाता है।
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से एक से नौ तक के आधार पर मापा जाता है। यह स्केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा की तरंगों के आधार पर इसकी तीव्रता को मापता है।
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं, जिसके ठीक नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप से कंपन सबसे ज्यादा होता है। इसी कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती है, इसका प्रभाव भी कम होता जाता है।
भारत को भूकंप के हिसाब से पांच जोन में विभाजित किया गया है। जोन एक से तीन तक वाले क्षेत्र कम जोखिम वाले हैं। इनमें पश्चिमी हिमालय का मैदान और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आदि शामिल हैं।
जोन चार को भूकंप जोन माना गया है और इसमें राजधानी दिल्ली समेत जम्मू, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गंगा तट से लगे क्षेत्र शामिल हैं। भूकंप जोन पांच अति संवेदनशील है और इसमें पंजाब, कश्मीर और उत्तर-पूर्वी भारत का इलाका शामिल है।