स्लीप पैरालिसिस के दौरान आप तब जाग सकते हैं, जब आपका शरीर आराम कर रहा होता है। यह जागने और सोने के बीच की स्थिति है और नार्कोलेप्सी जैसे अन्य नींद संबंधी विकारों को जन्म दे सकती है। यह स्थिति किशोरावस्था के दौरान शुरू होती है।
आप इस स्थिति के दौरान अपनी छाती पर दबाव महसूस कर सकते हैं, सांस लेने में कठिनाई का अनुभव कर सकते हैं या आपको अधिक पसीना आ सकता है। इस वजह से मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, डर की भावना और ऐसा महसूस हो सकता है कि आप मरने वाले हैं।
जब नींद में शरीर का रैपिड आई मूवमेंट (REM) और मस्तिष्क का तालमेल नहीं हो पाता है, तब स्लीप पैरालिसिस हो सकता है। नार्कोलेप्सी, अनियमित नींद पैटर्न, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर और अनुवांशिकता भी इस स्थिति को ट्रिगर कर सकती है।
अपनी स्लीप साइकिल को सुधारने की कोशिश करें। सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप जैसे उपकरणों की ब्लू लाइट के संपर्क में आने से बचें और रोजाना कम से कम छह-आठ घंटे सोने की कोशिश करें। अपनी डाइट को ठीक रखें और रोजाना कुछ मिनट योग का अभ्यास करें।