हाइपरसोमनिया एक डिसऑर्डर है और इससे ग्रस्त व्यक्ति को हर समय नींद आती है। दिन में नींद आना इसका खास लक्षण है।
प्राइमरी हाइपरसोमनिया: इसके पीछे कोई अन्य चिकित्सा स्थिति मौजूद नहीं होती है। सेकेंडरी हाइपरसोमनिया: यह स्लीप एपनिया और क्रोनिक थकान सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य स्थितियों की कारण हो सकता है।
प्राइमरी हाइपरसोमनिया मस्तिष्क प्रणालियों में समस्याओं के कारण होता है, वहीं सेकेंडरी हाइपरसोमनिया थकान या अपर्याप्त नींद का कारण बनने वाली स्थितियों का परिणाम है। कुछ दवाएं भी हाइपरसोमनिया का कारण बन सकती हैं।
हाइपरसोमनिया का मुख्य लक्षण अधिक थकान रहना है। इससे पीड़ित लोग दिन भर झपकी ले सकते हैं और उन्हें लंबी अवधि की नींद से जागने में भी कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त, कम ऊर्जा, चिड़चिड़ापन, चिंता, भूख में कमी, याद रखने में कठिनाई और बेचैनी होना भी इसके लक्षणों में शामिल है।
हाइपरसोमनिया की स्थिति के आधार पर इसके अलग-अलग इलाज हो सकते हैं। नार्कोलेप्सी की एम्फैटेमिन, मेथिलफेनिडेट और मोडाफिनिल जैसी दवाएं हाइपरसोमनिया का इलाज कर सकती हैं। इसके अलावा, जीवनशैली में कुछ बदलाव करके भी इससे बचा जा सकता है।