मोबाइल आपकी अनुभूति पर खराब प्रभाव डाल सकता है। यह विचार, अनुभव और इंद्रियों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने और लागू करने की प्रक्रिया है। दरअसल, मोबाइल के वजह से अब मानसिक रूप से चीजों को याद रखने की जरूरत नहीं है, इसीलिए आप अपने दिमाग पर काम नहीं करते हैं, जिससे कॉग्निटिव क्षमताएं धीरे-धीरे कम हो जाती हैं।
मोबाइल का इस्तेमाल तब एक समस्या बन जाता है, जब यह आपकी व्यावहारिक गतिविधियों और दूसरों के साथ बातचीत को कम कर देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे समस्या को सुलझाने की स्किल्स कम हो जाती हैं, इसलिए हर असुविधा के लिए मोबाइल पर निर्भर न रहें।
यदि आप ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा कि सोने से पहले मोबाइल फोन का इस्तेमाल वास्तव में आपकी नींद की गुणवत्ता और इसकी साइकिल को खराब कर देता है। यह देर रात तक सोशल मीडिया फीड चेक करने से ही नहीं है, बल्कि मोबाइल फोन से निकलने वाली खतरनाक नीली रोशनी के कारण ज्यादा होता है।
अब आपको अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए मोबाइल फोन पर केवल एक टच करने की जरूरत है, न कि लाइब्रेरी जाकर किताबों को खोजने और उन्हें पढ़ने की। इन्हीं कारणों से लोग मोबाइल पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर होता है और यह आलसी बना देता है।
यदि आप अपने फोन को बिना किसी रुकावट के लंबे समय तक लगातार पास से देखते हैं तो यह मायोपिया का कारण बन सकता है। मायोपिया एक ऐसी आंख की बीमारी है, जिसमें आप पास की चीजों को तो स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं।