बोमकाई साड़ी राज्य के गंजम जिले के बोमकाई गांव में बनाई जाती है। यह साड़ी भारत की सबसे लोकप्रिय हथकरघा साड़ी है और इस पर आदिवासी कला की छवि साफ दिखाई देती है। यह साड़ी कॉटन और सिल्क दोनों ही फैब्रिक में उपलब्ध होती हैं।
कोटपाड़ साड़ी को 2005 में भारत का ग्राफिकल इंडीकेटर का टैग मिला था। यह एक ऐसा टैग है, जो किसी भी राज्य की विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उसे दे दिया जाता है। ये टैग किसी खास वस्तु का दूसरी जगहों पर गैर-कानूनी प्रयोग को रोकने के लिए दिया जाता है।
ये साड़ियां हाथ से बुनी जाती हैं और हल्की होती हैं। इनका वजन लगभग 300 ग्राम है, जो साड़ी पहनने की शुरूआत करने वाली महिलाओं के लिए आरामदायक और बांधने में आसान होती हैं।
ओडिशा की संबलपुरी इक्कात साड़ी को भी जरूर खरीदना चाहिए, जिसे धागे को रंगने के बाद बुना जाता है। इन साड़ियों को महिलाएं किसी भी अवसर पर पहन सकती हैं। भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संबलपुरी इक्कात की साड़ियां पहनना बहुत पसंद था।
सक्तापुर साड़ियों को सिल्क, कॉटन, टसर और टसर यार्न के मिश्रण से बुना जाता है। इन साड़ियों में चेकबोर्ड डिजाइन होते हैं। इन साड़ियों को लोकप्रियता तब मिली जब इंदिरा गांधी ने इन्हें पहनना शुरू किया।