कई अध्ययनों के अनुसार, सफेद तिल की तासीर गर्म होती है और इसके सेवन से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। इसके अतिरिक्त यह रक्त वाहिकाओं की सफाई करने में सहायक है, जो ठंड के कारण सिकुड़ जाती हैं। यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में भी सहायक है।
सफेद तिल में मैग्नीशियम और कई आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जिन्हें मधुमेह से लड़ने के लिए उपयुक्त माना जाता है। यही नहीं, सफेद तिल से बनाए जाने वाले तेल का उपयोग हाइपरसेंसिटिव मधुमेह रोगियों में ब्लड प्रेशर और प्लाज्मा ग्लूकोज को कम करने में भी प्रभावी पाया गया है।
सफेद तिल में मौजूद एंटी-एथेरोजेनिक गुण हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सफदे तिल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।
सफदे तिल की तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से इसका सेवन कफ, खांसी-जुकाम आदि से जल्द राहत दिला सकता है। हालांकि, जुकाम के दौरान कच्चे सफदे तिल खाने से बचें और हो सके तो इसे भूनकर या किसी चीज में मिलाकर इसका सेवन करें।
सफेद तिल का सेवन पाचन क्रिया के लिए भी लाभदायक है। यह पाचन और गैस्ट्रोएन्टराइटिस से जुड़े समस्याओं का उपचार करने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें उच्च फाइबर मौजूद होता है। यह आंतों की मांसपेशियों को आराम देने में भी मदद कर सकता है, जिससे उचित पाचन को बढ़ावा मिलता है।