नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व दक्षिण भारत में नीलगिरि पहाड़ियों और पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित है। साल 1986 में स्थापित इस रिजर्व को साल 2012 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसमें लुप्तप्राय नीलगिरि तहर और शेर-पूंछ वाले मकाक रहते हैं।
उत्तराखंड की नंदा देवी चोटी के समुद्र तल से 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नंदा देवी बायोस्फीयर की स्थापना साल 1982 में की गई थी। साल 1988 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसमें 300 से अधिक प्रकार की वनस्पतियां और वन्यजीवों की कई प्रजातियां हैं।
बांग्लादेश की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल में गंगा के विशाल डेल्टा में स्थित सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व को साल 1997 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह प्रसिद्ध रॉयल बंगाल टाइगर के लिए सबसे बड़े अभ्यारण्यों में से एक है और लुप्तप्राय मुहाना मगरमच्छों का भी घर है।
हिमाचल प्रदेश में स्थित कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व 7,700 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह रिजर्व हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है और पर्यटक वहां जा सकते हैं। वहां जाने पर आपको हिमालयी काले भालू, खरगोश, तिब्बती चिकारे और बर्फीले तीतर को भी देखने का अवसर मिल सकता है।
मध्य प्रदेश के सतपुड़ा रेंज में स्थित पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना वन्यजीवों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए की गई थी।भारत सरकार द्वारा साल 1999 में स्थापित इस रिजर्व ने साल 2009 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त किया।