यह प्राचीन मंदिर स्थल जयपुर के बाहरी इलाके में शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर खनिया-बालाजी में स्थित है। यह मंदिर बालाजी को समर्पित है। यह तालाबों, प्राकृतिक झरनों और पवित्र जल की टंकियों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनमें तीर्थयात्री प्राचीन काल में स्नान किया करते थे।
यह मंदिर आमेर किले में स्थित है और देवी दुर्गा को समर्पित है। आमेर के राजा मान सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। आमेर किले तक पहुंचने के लिए आप हवामहल से कार किराए पर ले सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं।
महाराजा सवाई जयसिंह ने साल 1735 में भगवान कृष्ण का सपना देखने के बाद इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके लिए महाराजा वृंदावन से भगवान की मूर्ति लाए थे। इस मंदिर ने "सबसे चौड़ी सिंगल स्पैन आरसीसी फ्लैट रूफ" के लिए गिनीज बुक में भी अपना नाम दर्ज कराया है।
यह मंदिर 18वीं शताब्दी में सेठ जय राम पालीवाल ने बनवाया था और यह भगवान गणेश को समर्पित है। यह बिरला मंदिर के बगल में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। इसके चारों ओर एक सुंदर महल बना हुआ है।
इस मंदिर का निर्माण बिरला उद्योग समूह ने साल 1988 में पूरे भारत में निर्मित कई मंदिरों के हिस्से के रूप में किया गया था। यह भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इसे लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह अच्छी गुणवत्ता वाले सफेद संगमरमर से बना है।