बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण नवाब आसफ-उद-दौला ने 1784 में करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि इस ऐतिहासिक स्थल को 1784 के अकाल के दौरान रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए बनाया गया था, वहीं इसे भ्रामक रास्तों के कारण भूल-भुलैया भी कहा जाता है।
औपनिवेशिक काल की इमारत का अवशेष दिलकुशा कोठी एक भुतहा लॉज था, जिसे शाही परिवारों के लिए एक महल में बदल दिया गया था। पहले यह अंग्रेज जनरल मेजर गोर का निवास था, लेकिन बाद में नवाब नसीर-उद-दीन-हैदर ने इसे अपना बनाया।
रूमी दरवाजा 60 फीट ऊंचा एक आकर्षक प्रवेश द्वार है, जो पुराने लखनऊ की गलियों में स्थित है। यह स्मारक अवध वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है और यह बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा के बीच स्थित है। रूमी दरवाजा नवाब आसफ-उद-दौला ने बनवाया था और इसे तुर्की गेट के नाम से भी जाना जाता है।
जूलॉजिकल गार्डन शहर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह स्तनधारियों, सरीसृपों और सफेद बंगाल टाइगर और एशियाई शेर जैसे कई जीवों का घर है। नवाब नसीरुद्दीन हैदर द्वारा साल 1921 में निर्मित करवाया गया यह चिड़ियाघर 71 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां राजकीय संग्रहालय भी है।
इस्लामिक पूजा स्थल जामा मस्जिद लखनऊ के तहसीनगंज इलाके में स्थित है। इस विशाल मस्जिद का निर्माण राजा अली शाह बहादुर ने साल 1423 में करवाया था। इस मस्जिद में आपको इस्लामिक विशेषताओं के साथ हिंदू-जैन वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिल सकता है।