जब आप जमीन पर बैठकर खाना खाते हैं तो इसका पाचन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे पेट की मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं और पेट के एसिड का स्राव बढ़ जाता है। इसके जरिए भोजन को पचाने में आसानी होती है।
इन बर्तनों में खाना बनाते समय तेल की बहुत कम जरूरत पड़ती है और भोजन स्वादिष्ट भी बनता है। इसके अतिरिक्त, इनमें बनाया जाने वाला खाना कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम और सल्फर जैसे पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है।
व्रत रखने (फास्टिंग) को कई स्वास्थ्य लाभों से जोड़ा गया है। यह शरीर के ब्लड प्रेशर को सुधारने, वजन घटाने और पेट की सूजन को कम करने में काफी मदद कर सकता है।
इस भारतीय परंपरा का संबंध स्वास्थ्य, धार्मिक समेत वातावरण से जुड़ा है। चावल का आटा ईको-फ्रेंडली होता है और इसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, रंगोली बनाते समय आप जो मुद्रा बनाते हैं, उससे एक्सरसाइज भी हो जाती है।
हाथ से खाना खाते समय हम लोग धीरे-धीरे और मन लगाकर खाना खाते है, जिसकी वजह से हम कम खाने पर भी पेट भरा-भरा लगता है और हम ओवरईटिंग से बच जाते हैं।