राजस्थान में भरतपुर बर्ड सैंक्चुरी को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है। UNESCO ने इसे विश्व धरोहर स्थल और संरक्षित सैंक्चुरी घोषित किया हुआ है। यहां पक्षियों की 360 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।
ओडिशा स्थित चिल्का एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसमें कई प्रवासी, दुर्लभ और आवासीय पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है। यहां हर साल कैस्पियन सागर, रूस, अरब सागर, मंगोलिया, लद्दाख और हिमालय से पक्षियों की 260 से ज्यादा प्रजातियां प्रवास करने आती हैं।
यह भारत की सबसे लोकप्रिय बर्ड सैंक्चुरी में से एक है। हरियाणा के सुल्तानपुर स्थित यह बर्ड सैंक्चुरी 1.43 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। सर्दियों में यहां रूस, पूर्वी यूरोप, साइबेरिया और तुर्की से बड़ी संख्या में खानाबदोश पक्षी आते हैं।
तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित वेदान्थंगल बर्ड सैंक्चुरी भारत की सबसे छोटी और सबसे पुरानी जल बर्ड सैंक्चुरी है। तमिल भाषा में वेदान्थंगल का अर्थ 'शिकारियों का गांव' होता है। यह 30 एकड़ भूमि में फैली हुई है और यहां 26 दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
यह गोवा के चोराओ द्वीप पर मंडोवी नदी के साथ स्थित मैंग्रोव जंगल में है। इस बर्ड सैंक्चुरी में एक टॉवर भी है जहां से आप पक्षियों को आसानी से देख सकते हैं। यहां पर आप ड्रोंगो, जलकाग, किंगफिशर, सैंडपाइपर, ट्रोगन, पतंग और बैंगनी बगुले जैसे पक्षियों को देख सकते हैं।