इस साल लोहड़ी के अलाव के लिए कम लकड़ियों का इस्तेमाल करने का संकल्प लें। इसके लिए लकड़ी का कम से कम इस्तेमाल करके सामान्य से कम अलाव बनाएं। इससे धुआं कम होगा और हवा साफ रहेगी। ध्यान रखें कि लकड़ियां गीली न हों।
जब हम ईंधन के रूप में कागज या सूखे गोबर का उपयोग करते हैं तो धुआं उठता है क्योंकि इन सामग्रियों में पानी, कार्बन, राख और अन्य कार्बनिक यौगिक भी होते हैं। इस लिए आग में ईंधन डालते न रहें क्योंकि यह आग जलने की प्रक्रिया को लंबा कर देगा।
अलाव बनाने के लिए सूखी पत्तियों और शाखाओं का इस्तेमाल करना एक पुरानी लोहड़ी परंपरा है, लेकिन जहरीली गैसों से सुरक्षित रहने के लिए सूखे पत्तों को छोड़ दें। इसके अतिरिक्त सिर्फ अपने परिवार के साथ लोहड़ी मनाने की बजाय पैसे जमा करके अपने आस-पास के सभी लोगों के साथ लोहड़ी मनाएं।
कई लोग लोहड़ी के आस-पास रंगोली बनाने के लिए तरह-तरह के रंगों या आर्टिफिशियल फूलों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस साल आप ऐसा न करें। ये चीजें पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होती हैं। इनकी बजाय आप अनाज, चावल, फूलों या मसालों से बने रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आप चाहें तो अलाव की कशमकश को छोड़ तरह-तरह के पारंपरिक व्यंजनों और गानों के जरिए भी लोहड़ी का आनंद ले सकते हैं। इसके लिए अपने परिवारवालों के साथ मूंगफली, फुल्ले, पिन्नी और गजक जैसे विशेष व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं और गानों पर थिरककर त्योहार को यादगार बना सकते हैं।