ट्यूबरकुलोसिस एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह भारत में हर एक लाख में से 210 लोगों को प्रभावित करता है। इससे सबसे ज्यादा फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह हड्डियों और मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर के किसी भी अंग में फैल सकता है।
ट्यूबरकुलोसिस होने का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के संपर्क में आना है। अगर आप इस रोग से संक्रमित व्यक्ति के साथ बहुत देर तक रहते हैं तो आपके इससे प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है।
सीने में दर्द, तीन हफ्ते से अधिक समय तक खांसी होना, खून वाली खांसी और बुखार इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके अतिरिक्त, सांस लेने में तकलीफ, शाम के समय बुखार चढ़ना, भूख में कमी, तेजी से वजन घटना और थकान महसूस करना भी इस रोग के लक्षणों में शामिल समस्याएं हैं।
ट्यूबरकुलोसिस का इलाज काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार से पीड़ित हैं। अगर इस रोग की शुरूआत है तो इसके बैक्टीरिया को दवा से मारा जा सकता है ताकि यह सक्रिय न रहे।
समय-समय पर अच्छे से हाथ धोना, वैक्सीनेशन करवाना और मरीजों के संपर्क में आने से बचना इसके कुछ निवारक उपाय हैं। अगर आप ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित हैं तो किसी अन्य व्यक्ति के साथ होने पर मुंह पर मास्क लगाकर रखें और खांसते या छींकते समय रूमाल का इस्तेमाल करें।