चंडी देवी मंदिर शिवालिक पहाड़ियों के नील पर्वत पर स्थित है और यह मंदिर चंडी देवी को समर्पित है। इस मंदिर को सिद्धपीठ भी कहते हैं। इसका मतलब है एक ऐसा स्थान, जहां भक्त अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पूजा करते हैं।
हर की पौड़ी गंगा नदी के तट पर स्थित पवित्र घाटों में से एक है और इसका मतलब है "भगवान शिव की सीढ़ियां।"वेदों के मुताबिक, भगवान शिव और भगवान विष्णु इस स्थान पर आते थे।
पवन धाम भागीरथी नगर क्षेत्र में स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर और गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका प्रबंधन मोगा की गीता भवन ट्रस्ट सोसाइटी करती है। इस मंदिर में बेहतरीन वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है।
सप्त ऋषि आश्रम एक पुराना खूबसूरत आश्रम है, जो हरिद्वार से 5 किलोमीटर दूर गंगा (सप्त सरोवर) के तट पर स्थित है। यह आश्रम योग और ध्यान के लिए एक शांत अभयारण्य है। इसे गुरु गोस्वामी दत्त द्वारा 1943 में स्थापित किया गया था।
कनखल हरिद्वार के सबसे प्राचीन जगहों में से एक है। इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। यह स्थान एक छोटी-सी कॉलोनी है, जिसमें प्रसिद्ध मां आनंदमयी आश्रम और दक्ष महादेव मंदिर हैं। यहां पर साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं।