सोलंकी का जन्म 1968 में राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की थी और फिर एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। सोलंकी को राजस्थान हाई कोर्ट में एक नाबालिग लड़की के लिए आसाराम के खिलाफ केस लड़ने के लिए जाना जाता है।
2013 में उन्हें आसाराम द्वारा रेप के मामले में नाबालिग लड़की के वकील के रूप में नियुक्त किया गया था। ट्रायल के दौरान सोलंकी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और उनके परिवार को भी निशाना बनाया गया। हालांकि, वह न्याय के रास्ते पर अडिग रहे।
आसाराम मामले में सोलंकी की जीत एक ऐतिहासिक क्षण था। खास बात यह है कि सोलंकी ने लड़की के परिवार की आर्थिक हालत देखते हुए यह केस बिना फीस के लड़ा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दौरान उन्हें करोड़ों की रिश्वत देने की भी कोशिश की गई थी।
राम जेठमलानी और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे वरिष्ठ वकीलों के सामने सोलंकी ने मजबूती और निडरता से तथ्य पेश किए और आसाराम को सलाखों के पीछे भेजने में कामयाब हुए। 2013 में उन्हें आसाराम द्वारा रेप के मामले में नाबालिग लड़की के वकील के रूप में नियुक्त किया गया था।
सारे साम, दाम, दंड, भेद के सामने सोलंकी का अडिग रहना एक मिसाल है। मनोज की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' की वजह से उनकी बहादुरी के किस्से एक बार फिर से चर्चा में हैं। फिल्म 23 मई को ZEE5 पर आ रही है। फिल्म का निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है।