इन दिनों इंस्टाग्राम पर रील्स में एक गाना खूब चल रहा है, 'ऊये माकेबा'। क्या आपको इस गाने के पीछे का इतिहास पता है? दरअसल, गाने में इस्तेमाल शब्द 'माकेबा' मीरियम माकेबा के बारे में है।
माकेबा दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ हुई क्रांति की एक मजबूत आवाज थीं। उन्हें 'मामा अफ्रीका' भी कहा जाता था। वह अपने क्रांतिकारी गानों से अश्वेत समुदाय के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाती थीं।
माकेबा का जन्म मार्च, 1932 में दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। जब वह 5 वर्ष की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया था। इसके बाद वह अपनी मां के साथ लोगों के घरों में काम करने लगी थीं।
माकेबा ने रंगभेद के खिलाफ अपने गुस्से को आधुनिक संगीत से जोड़कर पश्चिम के देशों तक पहुंचाया था। माकेबा का कहना था कि वह सिर्फ अपने अनुभवों को बता रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में माकेबा ने कहा था कि अफ्रीका की अल्पसंख्यक श्वेत सरकार ने अमेरिका से जो हथियार खरीदे हैं, उन्हें अश्वेत समुदायों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा। उनका इस्तेमाल खासकर, अश्वेत महिलाओं के खिलाफ होगा।
उनके इस भाषण से श्वेत अफ्रीकी सरकार तिलमिला गई थी। इसके बाद ही सरकार ने उन्हें देश में आने से प्रतिबंधित कर दिया था। उनके गानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
2008 में उनके निधन पर नेल्सन मंडेला ने कहा था, "उनके संगीत ने लोगों के विस्थापन के दर्द को बयान किया, जो उन्होंने इतने सालों तक झेला था। इसके साथ ही उनके गानों ने हम सभी के अंदर उम्मीद की लौ जगाई थी।"