दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता लोखंडे को एकता ने अपने शो 'पवित्र रिश्ता' में मौका दिया और दोनों घर-घर में लोकप्रिय हो गए। इसके बाद सुशांत ने बॉलीवुड में कदम रखा और वहां भी अपनी धाक जमाई, वहीं अंकिता ने फिल्म 'मणिकर्णिका' से बड़े पर्दे का रुख किया।
विद्या बालन को उनके एक्टिंग करियर का पहला ब्रेक एकता ने ही दिया था। 1995 में धारावाहिक 'हम पांच' में विद्या पहली बार अभिनय करती दिखी थीं और पहले ही धारावाहिक से वह दर्शकों के दिलों में घर कर गई थीं। 2005 में फिल्म 'परिणीता' से विद्या ने बॉलीवुड का रुख किया।
एकता का शो 'कसौटी जिंदगी की' शायद ही किसी ने ना देखा हो। रोनित रॉय को उन्होंने अपने इसी शो में मौका दिया था और वह मिस्टर बजाज का किरदार निभाकर दर्शकों के बीच जबरदस्त लोकप्रिय हुए थे। छोटे पर्दे के बाद रोनित ने 1992 में फिल्म 'जान तेरे नाम' से बॉलीवुड में आगाज किया था।
अनीता को पहला बड़ा ब्रेक 2001 में एकता के धारावाहिक 'कभी सौतन कभी सहेली' से मिला। उन्हें एकता के 'कोई अपना सा' और 'काव्यांजलि' जैसे कई लोकप्रिय धारावाहिकों में देखा गया। 1999 में फिल्म 'ताल' से अनीता ने बॉलीवुड में अपनी पारी शुरू की।
राजीव ने टीवी पर एंट्री तो पहले ही कर ली थी, लेकिन एकता के धारावाहिक 'कहीं तो होगा' से वह लोगों के बीच चर्चा में आए थे। इसके बाद फिल्म 'आमिर' से 2008 में राजीव ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा। पिछली बार वह काजोल अभिनीत फिल्म 'सलाम वेंकी' में दिखे थे।
साल 2000 में एकता के चर्चित धारावाहिक 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' से स्मृति को बड़ा ब्रेक मिला। यह शो उनके टेलीविजन करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। उनकी पहली हिंदी फिल्म 2001 में आई 'मालिक एक' थी। स्मृति राजनीति में भी खूब नाम कमा चुकी हैं।
एकता ने ही साक्षी तंवर को टीवी स्टार बनाया। उन्होंने अपने लोकप्रिय धारावाहिक 'कहानी घर-घर की' में साक्षी को साइन किया। इस शो में उन्होंने पार्वती का किरदार निभाकर घर-घर में लोकप्रियता बटोरी। साक्षी की पहली फिल्म 2006 में आई 'ओ रे मनवा' थी।