सूरत में जन्मे कुमार 7 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए, जहां उनकी रुचि अभिनय की ओर बढ़ने लगी। फिल्मों में जाने की अपनी चाह के लिए वह थिएटर से जुड़े और फिर 1960 में 'हम हिंदुस्तानी' से डेब्यू किया, जिसमें वह 2 मिनट के लिए दिखे थे।
कुमार अपने शानदार अभिनय के बल पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहे थे। उन्होंने 1974 में आई 'नया दिन नई रात' में तो 9 किरदार निभाकर लोगों को अपनी अदाकारी से हैरान कर दिया था। वह इसमें अंधे, बूढ़े से लेकर डाकू तक की भूमिका में दिखे थे।
रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' को आज भी लोग पसंद करते हैं। इस फिल्म में कुमार ठाकुर के किरदार में नजर आए थे, जो उनके लिए बहुत अहम साबित हुआ था। इस फिल्म ने उन्हें लोकप्रियता के शिखर पर पहुंख दिया और हर कोई उन्हें ठाकुर नाम से पुकारने लगा।
कुमार ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्मों में काम किया और कई पुरस्कार भी अपने नाम किए। उन्हें 1970 में आई फिल्म 'दस्तक' और 1972 में आई 'कोशिश' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
पर्दे पर जहां हीरो अपनी छवि का ख्याल रखते थे तो कुमार अपने अभिनय को तवज्जो देते थे। उन्हें किसी भी उम्र के किरदार निभाने में समस्या नहीं थी। उन्होंने जिन अभिनेत्रियों से रोमांस किया था, उनके वह ससुर या पिता के किरदार में भी दिखाई दिए थे।
कुमार का 47 साल की उम्र में 6 नवंबर, 1985 को मुंबई में अपने घर में निधन हो गया था। वह बाथरूम में फर्श पर गिरे मिले थे, जिसके बाद दिल का दौरा पड़ने से निधन होने की बात सामने आई थी। कहा जाता था कि अभिनेता के परिवार में कोई भी पुरुष 50 वर्ष से अधिक नहीं जी पाता था।