'संगम' देश की पहली फिल्म थी, जिसे विदेश में शूट किया गया था। इस फिल्म में राज अभिनेत्री वैजयंती माला से शादी करने के बाद हनीमून पर यूरोप जाते हैं। असल में इन सभी दृश्यों की शूटिंग यूरोप की कई खूबसूरत जगहों पर की गई थी।
पहले इस फिल्म को विदेश में शूट करने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन 'संगम' को भव्य रूप देने के लिए राज अपनी नायिका वैजयंती के साथ पेरिस, वेनिस, रोम, लंदन, जेनेवा आदि में शूटिंग करना चाहते थे। दिक्कत यह थी कि उस समय विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून बिल्कुल अलग थे।
भारत सरकार ने विदेश में शूटिंग की अनुमति इस शर्त पर दी कि जितनी विदेशी मुद्रा खर्च होगी, उससे 4 गुना विदेशी मुद्रा फिल्म को कमानी होगी। शर्त सुनकर राज बहुत परेशान हो गए। इसके बाद विदेश में बसे भारतीय लोगों से संपर्क किया गया।
जब यह बात हिंदुजा समूह और चैरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष श्रीचंद परमानंद हिंदुजा तक पहुंची तो वह मदद के लिए आगे आए। उन्होंने 'संगम' के ओवरसीज राइट्स 1 लाख ब्रिटिश पाउंड में खरीद लिए। इसके चलते हिंदुजा को लंदन में संगम लिमिटेड के नाम से एक नई कंपनी भी खोलनी पड़ी थी।
60 के दशक के बाद बॉलीवुड में फिल्मों को विदेश में शूट करना का सिलसिला शुरू हो गया। 'संगम' के बाद निर्माताओं का ध्यान स्विट्जरलैंड की हसीन वादियों पर गया। तब से अब तक स्विट्जरलैंड बॉलीवुड की पहली पसंद बना हुआ है।
इस फिल्म से जुड़ीं कई खास बातें हैं। यह राज के होम प्रोडक्शन की पहली रंगीन फिल्म थी। 'संगम' से ही राज के रंगीन सिनेमा की शुरुआत हुई थी। पहले राज की इस फिल्म का नाम 'घरौंदा' था, लेकिन बाद में उन्होंने इस फिल्म को रंगीन में 'संगम' नाम से बनाने का ऐलान किया।
विदेश के सदाबहार शहरों को शूट करने के कारण फिल्म की लंबाई इतनी ज्यादा हो गई कि 'संगम' पहली फिल्म बन गई, जिसमें दो मध्यांतर यानी इंटरवल रखने पड़ गए। 'संगम' देश की पहली सबसे लंबी फिल्म भी बनी, जो करीब 4 घंटे की है। राज ने 'संगम' को काफी एडिट किया और इसे 1 इंटरवल का बना दिया।
26 जून 1964 को मुंबई में अप्सरा सिनेमा का उद्घाटन 'संगम' के प्रीमियर से ही हुआ। फिल्म की सफलता कुछ ऐसी रही कि यह 60 के दशक में ऐतिहासिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' के बाद सबसे ज्यादा लाभ देने वाली फिल्म बनकर उभरी।