जब मनोज कुमार फिल्मी दुनिया में आए तो उनकी ज्यादातर फिल्मों में उनका नाम भारत था। ऐसे में लोग उन्हें 'भारत कुमार' कहकर बुलाने लगे और फिर उनका यही नाम पड़ गया।
इसके बाद 1967 में मनोज ने इसी को ध्यान में रखते हुए फिल्म 'उपकार' बनाई, जिसमें वह एक सैनिक और किसान की भूमिका में नजर आए। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार सहित कई सम्मान प्राप्त हुए थे।
1981 में रिलीज हुई फिल्म 'क्रांति' का निर्देशन भी मनोज ने ही किया था। यह 1980 के दशक की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म थी और यह उस समय की सबसे महंगी भारतीय फिल्मों में से एक थी।
मनोज की 'पूरब और पश्चिम' भी देशभक्ति की भावना को दिखाती है। उन्होंने इस फिल्म में अभिनय के साथ निर्देशन की कमान भी संभाली थी। फिल्म की कहानी एक स्वतंत्रता सेनानी के बेटे की है, जो पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाता है। इसमें मनोज के साथ प्राण, अशोक, सायरा बानो और प्रेम चोपड़ा नजर आए थे।
1974 में आई 'रोटी कपड़ा और मकान' में मनोज न सिर्फ अभिनय करते हुए नजर आए थे, बल्कि उन्होंने इसे लिखा और निर्देशित भी किया था। कहा जाता है कि जब अमिताभ बच्चन इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने में असफल रहने पर मुंबई छोड़कर जा रहे थे तो मनोज ने ही उन्हें इस फिल्म में काम दिया था।
मनोज ने 1960 में 'कांच की गुड़िया' से बतौर मुख्य अभिनेता शुरुआत की थी, लेकिन पहचान उन्हें 1962 में आई 'हरियाली और रास्ता' से मिली। उनकी बेहतरीन फिल्मों में 'शहीद', 'पत्थर के सनम', 'अपना बनाके देखो', 'नकल नवाब', 'गुमनाम', 'शोर', 'गुमनाम' और 'अनीता' शामिल हैं।