भंडारकर की फिल्म 'चांदनी बार' को सामाजिक मुद्दों पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म सहित 4 अलग-अलग श्रेणियों में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। इस फिल्म में एक बार डांसर के दर्द को बखूबी दर्शाया गया। फिल्म में तब्बू और अतुल कुलकर्णी मुख्य भूमिका में नजर आए थे।
भंडारकर को इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। फिल्म की कहानी पत्रकारिता, पेज 3 और हाई सोसायटी के रहन-सहन पर आधारित थी, जिसमें एक पत्रकार इन पार्टियों में जाकर इनके दोहरे जीवन के बारे में जानती है।
2007 में भंडारकर बड़े पर्दे पर अपनी फिल्म 'ट्रैफिक सिग्नल' लेकर आए। इस फिल्म के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। यह फिल्म मुंबई में एक काल्पनिक ट्रैफिक सिग्नल के आसपास रहने वाले लोगों के जीवन और परेशानियों की कहानी दिखाती है।
2008 में आई अपनी फिल्म 'फैशन' के लिए भंडारकर को चौथी बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इस फिल्म के जरिए उन्होंने फैशन जगत की सच्चाई को पर्दे पर उतारा था, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था। फिल्म में प्रियंका चोपड़ा और कंगना रनौत नजर आई थीं।
'अविजात्रिक' एक बंगाली फिल्म है, जिसके सह-निर्माता भंडारकर थे। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था और इसी के साथ भंडारकर की झोली में पांचवा राष्ट्रीय पुरस्कार आया। 'अविजात्रिक' की कहानी विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय के उपन्यास अपराजितो पर आधारित थी।