अपने 70 साल के लंबे एक्टिंग करियर में ललिता ने 700 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया। इतने लंबे करियर के कारण ललिता का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल कर लिया गया।
ललिता को शुरुआत में फिल्मों में काम करने के लिए 18 रुपये मिलते थे। देखते ही देखते उनकी लोकप्रियता और कमाई बढ़ने लगी। ललिता अपने दौर की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हीरोइनों में शुमार हो गईं। 1988 तक फिल्मों में उन्होंने अपना दबदबा कायम रखा।
ललिता अपनी फिल्मों के बलबूते लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही थीं, लेकिन सेट पर हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया। दरअसल, 1942 में ललिता अभिनेता भगवान दादा के साथ फिल्म 'जंग-ए-आजादी' के लिए शूट कर रही थीं।
एक सीन की शूटिंग के दौरान दादा को ललिता को थप्पड़ मारना था, लेकिन गलती से ललिता को थप्पड़ कान पर लग गया। इस कारण उनकी आंख के पास की नस फट गई। इसके बाद मानों उनकी जिंदगी थम सी गई।
ललिता को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गलत इलाज के कारण उनकी हालत और बिगड़ गई। उनके शरीर के एक हिस्से में लकवा मार गया। कई साल इलाज के बाद वह ठीक तो हो गईं, लेकिन उनकी एक आंख खराब हो गई और उनके करियर की लुटिया भी डूब गई।
इलाज के कारण ललिता 3 साल तक घर पर खाली बैठी रहीं, लेकिन जब वापस लौटीं तो उन्हें मां-बहन और सास के किरदार ही मिलते रहे, लेकिन उन्होंने इन किरदारों में भी ऐसी जान फूंकी कि वो हमेशा के लिए अमर हो गए।
ललिता को मुंह का कैंसर भी हो गया। उन्हें लगा कि ऐसा उन नेगेटिव किरदारों की वजह से हुआ है, जो उन्होंने फिल्मी पर्दे पर निभाए क्योंकि लोगों ने उन किरदारों में उन्हें खूब कोसा। ललिता की हालत और खराब होती चली गई।
ललिता ने फिल्ममेकर गणपत राव से शादी की थी, लेकिन शादी के कुछ साल बाद पता चला कि उनका अफेयर ललिता की छोटी बहन से चल रहा है। इस कारण गणपत से उनकी शादी टूट गई।
बताया जाता है कि जब ललिता की मौत हुई तो घर पर उनके साथ परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था। वह पुणे स्थित अपने बंगले में अकेली रह रही थीं। उन्होंने वहीं 24 फरवरी, 1998 को आखिरी सांस ली।