के वेंकटेश DMD नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे जिसमें व्यक्ति की मांसपेशियां धीमे-धीमे कमजोर होती हैं और एक दिन उसका सारा शरीर काम करना बंद कर देता है।
इस बीमारी ने वेंकटेश को मात्र छह साल की उम्र से व्हीलचेयर पर ला दिया था। इस दौरान उनकी मां के सुजाता ने उनकी खूब देखभाल की।
बचपन में वेंकटेश की दिलचस्पी चेस में जागी। उन्होंने चेस को ही अपने जीने का जरिया बना लिया। वह होनहार चेस खिलाड़ी साबित हुए और कई प्रतियोगिताएं भी जीतीं।
इससे पहले कि उनकी बीमारी से उनके सारे अंग खराब हो जाएं, वेंकटेश अंगदान करना चाहते थे। इसके लिए उनकी मां ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में अपने बेटे के लिए इच्छामृत्यु के लिए अपील दायर की।
हाई कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसले के दो दिन बाद, 18 दिसंबर 2004 को वेंकटेश ने अपने शहर हैदराबाद में अंतिम सांस ली। वह 25 साल के थे।