ग्रैमी पुरस्कार को संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है, जिसे पाना इस क्षेत्र से जुड़ी हर हस्ती का सपना होता है। ग्रैमी पुरस्कार की शुरुआत 1959 में हुई थी, जिसमें 1958 के संगीत क्षेत्र के दिग्गजों को सम्मानित किया गया था।
हर साल यह पुरस्कार अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ रिकॉर्डिंग आर्ट्स एंड साइंसेज (NARAS) की ओर से विजेताओं को दिया जाता है।
ग्रैमी की ट्रॉफी को जॉन बिलिंग्स ने हाथ से बनाया था, जिन्हें ग्रैमी मैन के नाम से भी जाना जाता है। जॉन की कोलोराडो स्थित कंपनी बिलिंग्स आर्टवर्क्स ही ग्रैमी की ट्रॉफी तैयार करती है।
इसे बनाने के लिए ग्रैमियम नामक धातु का इस्तेमाल होता है, जिसमें जस्ता (जिंक) मिलता है और बाद में सोने का पानी चढ़ाया जाता है। इसका आकार ग्रामोफोन जैसा दिखता है इसलिए इसे ग्रामोफोन पुरस्कार भी कहते हैं।
पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 'स्टंट' ट्रॉफी दी जाती है तो असली ट्रॉफी बाद में उनके पास पहुंचती है। हार्पर बाजार मैगजीन के अनुसार, इस ट्रॉफी की कीमत 30,000 डॉलर (लगभग 25 लाख रुपये) होती है, जिसमें हर साल फेरबदल होता है।
भारतीय सितार वादक पंडित रवि शंकर को 1968 में पहला ग्रैमी मिला था। उन्हें 5 बार इस पुरस्कार से नवाजा गया। उनके अलावा एआर रहमान, जुबिन मेहता, नीला वासवानी, जाकिर हुसैन, गुलजार, फाल्गुनी शाह, तनवी शाह और रिकी केज गैमी की ट्रॉफी को अपने नाम कर चुके हैं।