3D फिल्में वास्तविक जैसी दिखाई देती हैं, लेकिन इन्हें देखने के लिए एक खास तरह का चश्मा दिया जाता है, जिसे पोलेराइड चश्मा कहते हैं। इसके बिना फिल्म धुंधली दिखती है। भारत में 3D में दिखाई गई पहली फिल्म 1984 में 'आई माय डियर कुट्टीचाथन' थी, लेकिन इसका चलन 2000 के बाद से ज्यादा हुआ है।
बात करते हैं IMAX की, जिसमें फिल्म के ऑडियो और वीडियो पर फोकस रहता है। दरअसल, इसमें फिल्म में दिखाई दे रहे किरदार पर्दे पर और भी अधिक स्पष्ट तरीके से नजर आते हैं। इसके साथ ही इसमें ऑडियो क्वालिटी भी बेहद शानदार रहती है, जो फिल्म देखने का अलग अनुभव देती है।
IMAX 3D में फिल्मों को एक विशाल स्क्रीन पर दिखाया जाता है। इसके लिए हाई टेक स्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है। IMAX 3D में फिल्म देखने ऐसा अनुभव देता है कि आप भी इसका हिस्सा हैं। इसमें कुछ चीजें आपको दूर नजर आती हैं तो कुछ एकदम पास।
4DX में फिल्म देखने का अनुभव IMAX 3D से एकदम अलग है। इसमें आपको फिल्म देखते समय उसमें हो रही हलचल भी महसूस होगी। फिल्म में जैसे-जैसे मूवमेंट होगा आपकी कुर्सी भी उसी तरह से हिलती रहेगी। 4DX में अधिकांश सिनेमाघरों की तुलना में छोटी स्क्रीन होती है।
IMAX और 4DX दोनों में टिकट की कीमत ज्यादा रहती है, लेकिन इन दोनों में IMAX सस्ता है। 4DX थिएटर इसलिए महंगे हैं, क्योंकि 4D तकनीक के कारण फिल्म में अधिक योजना और प्रोग्रामिंग की आवश्यकता होती है।
आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' 3D, IMAX 3D और 4DX में रिलीज हुई थी। इसी तरह मणिरत्नम की 'पोन्नियिन सेल्वन 2' 4DX फॉर्मेट में रिलीज होने वाली पहली दक्षिण भारतीय फिल्म बनी है। यह फिल्म 3D में भी रिलीज हुई थी।