रिपोर्ट्स के अनुसार 9 साल की उम्र में ही वह पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चली गई थीं। उन्होंने लंदन में रॉयल एकैडमी ऑफ ड्रैमेटिक आर्ट से पढ़ाई पूरी की थी।
यहां उन्होंने अभिनय के साथ टेक्स्टाइल डिजाइन, डेकोर और आर्किटेक्चर का भी कोर्स किया था। वह जर्मन सिनेमा से बहुत प्रभावित थीं।
देविका जब भारत लौटीं तो उन्होंने फिल्मों में करियर बनाना चाहा। इस दौरान उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता हिमांशु रॉय से हुई। हिमांशु ने उन्हें अपनी फिल्म 'कर्मा' का ऑफर दिया।
इस फिल्म में देविका ने 4 मिनट लंबा किसिंग सीन किया था। इस सीन ने उस दौर में सनसनी मचा दी थी। फिल्म और देविका की खूब आलोचना हुई और इसे प्रतिबंधित भी कर दिया गया।
1936 की फिल्म 'अछूत कन्या' में देविका ने एक दलित लड़की का किरदार निभाया था। जवाहरलाल नेहरू को यह फिल्म इतनी पसंद आई कि उन्होंने देविका की तारीफ करते हुए उन्हें एक खत लिखा।
पहला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देविका रानी को दिया गया था। उनके रौबदार रवैये के लिए उन्हें 'ड्रैगन लेडी' कहा जाता था। 9 मार्च, 1994 को बीमारी के कारण उनका निधन हो गया था।