ओपेनहाइमर का जन्म 22 अप्रैल, 1904 को न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। वह मैनहैट्टन में पले-बढ़े थे। एक छात्र के तौर पर ओपेनहाइमर फिजिक्स, केमिस्ट्री, लैटिन और फिलॉसफी में अव्वल थे।
हावर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के बाद वह रिसर्च के लिए इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए थे। यहां उन्होंने क्वॉन्टम फिजिक्स में रिसर्च की और अपनी PhD की डिग्री हासिल की।
1939 में जब हिटलर की नाजी सेना ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया, तब एलबर्ट आइंस्टाइन समेत कई वैज्ञानिकों ने अमेरिकी सरकार को चेताया कि दुश्मन उन पर परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अमेरिकी सेना ने अमेरिकी और ब्रिटिश फिजिसिस्ट को परमाणु क्षमता को बढ़ाने का जिम्मा सौंपा। इसे 'मैनहैट्टन प्रोजेक्ट' का नाम दिया गया और इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी ओपनेहाइमर को दी गई।
16 जुलाई, 1945 को परमाणु बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। परमाणु बम के सफलतापूर्वक परीक्षण होने पर उन्होंने गीता के श्लोक का अनुवाद पढ़ा था। ऐसे में वह भारत में लोकप्रिय थे।
6 अगस्त, 1945 को अमेरिकी सेना ने जापान के हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया गया था। इसके बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने जापान के ही नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया।
जापानी त्रासदी के बाद ओपेनहाइमर खुद को इसका जिम्मेदार मानने लगे। वह मैनहैट्टन प्रोजेक्ट से बाहर हो गए। उन्होंने हाइड्रोजन बम बनाने का पुरजोर विरोध किया था। ऐसे में अमेरिकी सरकार ने उनकी देशभक्ति पर सवाल खड़े किए और उन पर मुकदमा चलाया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय नागरिकता का प्रस्ताव दिया था। ओपेनहाइमर खुद को सच्चा अमेरिकी मानते थे, इसलिए उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।