दोस्ती और रोमांस करण की फिल्मों का खास हिस्सा होते हैं। इसके इर्द-गिर्द वह बेहतरीन कहानियां बुनते हैं और पर्दे पर पेश करते हैं। उनकी अधिकतर फिल्मों में दोस्ती और प्यार की दिल छूने वाली उधेड़बुन देखने को मिलती है।
'कुछ-कुछ होता है' में राहुल और अंजली की दोस्ती को कौन भूल सकता है? 'ऐ दिल है मुश्किल' का केंद्र भी कुछ ऐसा ही रिश्ता था, जिसमें 2 दोस्त अपनी दोस्ती और प्यार के बीच फंस जाते हैं। दोनों ही फिल्मों को दर्शकों से खूब प्यार मिला था।
करण की फिल्मों की सबसे खास बात है भारी भरकम ड्रामा, जिसके लिए वह तगड़ी स्टारकास्ट को पर्दे पर लेकर आते हैं। उनकी फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' आज भी अपनी स्टारकास्ट, उनके बीच के रिश्तों, पीढ़ियों और उनके टकराव के लिए याद की जाती है।
करण अपनी फिल्मों के लिए हमेशा एक नया विषय लेकर आते हैं। 'कुछ कुछ होता है' में दोस्ती और प्यार की जटिलता देखने को मिलती है। 'कभी अलविदा न कहना' के जरिए करण ने विवाहेतर संबंध के ईर्द-गिर्द कहानी बुनी। 'माई नेम इज खान' में उन्होंने मुस्लिम विरोध को केंद्र में रखा।
करण की फिल्मों अलग तरह का ग्लैमर दिखता है। भव्य सेट, बड़ी स्टारकास्ट, रंग-बिरंगे कॉस्ट्यूम और डांस नंबर्स, करण अपनी फिल्मों में ग्लैमर डालने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। सालों से उनकी फिल्मों के गानों पर लोग पार्टियों में झूम रहे हैं।