करण ने मास्टर्स यूनियन से बातचीत में बताया कि पिता के निधन के बाद उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करना है। वह एक दिन धर्मा प्रोडक्शन के ऑफिस में अकेले जाकर बैठ गए और सोचने लगे कि इस कंपनी को आगे कैसे ले जाएं।
उन्हें कंपनी के रुपये-पैसों की कोई जानकारी नहीं थी। वह फाइनैंस से इतना दूर थे कि एक बार उन्होंने एक चेक पर साइन करने की बजाय 'लॉट्स ऑफ लव' लिख दिया था क्योंकि उन्हें ऑटोग्राफ देने की आदत थी।
पिता के निधन के चार दिन बाद उन्हें एक फैमिली फ्रेंड ने उनकी लिखी हुई चिट्ठियां लाकर दीं। उन्होंने यह भी बताया कि यश को पता था कि करण कुछ भी नहीं जानते हैं, इसलिए ये लिखकर गए हैं।
छह पन्ने की उस चिट्ठी में कहां क्या निवेश है, कहां फंड है सबका हिसाब-किताब लिखा था। करण ने उन चिट्ठियों की मदद से ही बिजनेस को आगे बढ़ाना शुरू किया। वह उन्हें बाइबल मानते हैं।
करण ने आखिरी बार साल 2016 में आई फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' का निर्देशन किया था। लंबे ब्रेक के बाद अब वह 'रॉकी और रानी की प्रेमकहानी' का निर्देशन कर रहे हैं।