यह उनकी गायकी का ही कमाल है कि 40 और 50 के दशक में मुकेश के गाए हुए गाने आज भी पसंद किए जाते हैं। आइए, जानते हैं कैसे शुरु हुआ था मुकेश का सफर।
मुकेश अपनी बहन की शादी में हारमोनियम पर गाना गा रहे थे। मेहमानों में फिल्म जगत से जुड़े 2 लोग (अभिनेता मोतीलाल) भी मौजूद थे। अगले दिन वे दोनों मुकेश के पिता से मिलने आ गए और कहा कि उनके बेटे में बड़ी प्रतिभा है।
उन लोगों ने उनके पिता से कहा, "इसे फिल्मों में भेज दीजिए, ये सहगल से भी बड़ा नाम कमाएगा।" तब उनके पिता इसके लिए राजी नहीं हुए और कहा कि वह अपने बेटे को क्लर्क बनवाएंगे।
इसके कुछ समय बाद वे लोग 'निर्दोष' फिल्म बना रहे थे, जिसमें उन्हें एक युवा सिंगिंग हीरो की तलाश थी। इसके लिए उन्होंने फिर से मुकेश को एक टेलीग्राम भेजा। इस बार उनके पिता ने जाने दिया।
मुकेश उस फिल्म का हिस्सा बने, जो बिल्कुल नहीं चली। वह कंपनी भी बंद हो गई। इसके बाद मुकेश अपने घर वापस आ गए। र आने के बाद मुकेश ने कभी शेयर ब्रोकर का काम किया तो कभी ड्राई फ्रूट विक्रेता का।
1942 में भारत में पहली बार प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत हुई थी। इसके बाद मुकेश को फिल्म 'पहली नजर' में 'दिल जलता है तो जलने दे' गाने का मौका मिला। यह गाना खूब लोकप्रिय हुआ।