फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने हाल ही में ट्वीट किया कि प्रसिद्ध नाटककार हबीब तनवीर के एक नाटक को फिल्म का रूप दिश जा रहा है। उन्होंने लिखा, 'जाने-माने डिस्ट्रीब्यूटर और कार्मिक फिल्म्स के सह-संस्थापक सुनील वाधवा अब निर्माता बनने जा रहे हैं। उन्होंने हबीब तनवीर के नाटक 'चरणदास चोर' पर फीचर फिल्म बनाने के राइट्स ले लिए हैं।'
रंगमंच की दुनिया में हबीब तनवीर का नाम बड़े अदब से लिया जाता है। उनका जन्म रायपुर (छत्तीसगढ़) में हुआ, जिन्होंने यहां की मिट्टी की खुशबू न सिर्फ देश, बल्कि दुनियाभर में पहुंचाई। अपनी खास नाट्य शैली के लिए लोकप्रिय हबीब ने स्कूली शिक्षा रायपुर से ली और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से MA किया।
इसके बाद बचपन से कला के प्रति आकर्षित रहने वाले हबीब साहब ने खुद को पूरी तरह से रंगमंच यानी थिएटर के लिए समर्पित कर दिया। हबीब साहब ने ऐसी-ऐसी कहानियां लिखीं, जिनका असर लंबे समय तक रहा। अपने नाटकों के जरिए उन्होंने सीधी-सादी कहानियों को ऐसे अंदाज में कहा कि थिएटर की शक्ल ही बदल दी।
भारतीय रंगमंच के मानचित्र पर हबीब ऐसी जगह पर विराजमान रहे, जहां कोई उनकी बराबरी नहीं कर पाया। 1954 में हबीब साहब अभिनय की बारीकियां सीखने लंदन गए, जहां उन्होंने निर्देशन भी सीखा। भारत लौटने के बाद उन्होंने हिन्दुस्तान थिएटर के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया।
हबीब साहब ने छत्तीसगढ़ में अपना थिएटर ग्रुप बनाया, जिससे लोक कलाकार जुड़ने लगे और दिलचस्प बात ये है कि इन लोक कलाकारों को महीने की तन्ख्वाह भी दी जाती थी। हबीब जितने अच्छे अभिनेता, निर्देशक व नाट्य लेखक थे, उतने ही बेहतरीन गीतकार, गायक, संगीतकार और कवि भी थे।
1969 में हबीब को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1983 में उन्हें पद्मश्री मिला। उनका नाटक 'चरणदास चोर' एडिनबर्ग में सम्मानित होने वाला पहला भारतीय नाटक था। अब इस लोकप्रिय नाटक पर बनने वाली फिल्म का इंतजार है।