'रांझणा' बॉलीवुड की यादगार रोमांटिक फिल्मों में से एक है। आनंद एल राय की यह फिल्म 10 साल बाद भी क्यों पसंद की जाती है? आइए, नजर डालते हैं उन बातों पर जिसने इस फिल्म को यादगार बना दिया।
फिल्म बनारस की पृष्ठभूमि पर रची गई एक शानदार प्रेम कहानी है। इसकी सादगी और सरलता के कारण छोटे शहर के दर्शक इससे बखूबी जुड़ते हैं और फिल्म में खुद को ही महसूस करते हैं।
फिल्म के तौर पर तो 'रांझणा' याद की ही जाती है, फिल्म के किरदारों की भी अपनी पहचान है। कुंदन, जोया, मुरारी, बिंदिया, पंडित, फिल्म के हर किरदार का एक खास चरित्र है, जिसके लिए वे प्रशंसकों के मन में बसते हैं।
10 साल बाद भी फिल्म के गानों को उतना ही पसंद किया जाता है। 'रांझणा' का संगीत एआर रहमान ने तैयार किया था। इसके गाने इरशाद कामिल ने लिखे थे। 'रांझणा हुआ तेरा', 'तुम तक', 'पिया मिलेंगे', जैसे गाने आज भी छाए हैं।
'तुमसे प्यार करना मेरा टैलेंट है', 'मोहल्ले का प्यार अकसर डॉक्टर और इंजिनियर ले जाते हैं', 'प्यार न हुआ तुम्हारा UPSC का एग्जाम हो गया, 10 साल से क्लियर ही नहीं हो रहा है', जैसे संवाद इस फिल्म के प्रशंसकों के जहन में ताजा हैं।
आखिर में धनुष का मोनोलॉग इस फिल्म को पूरा करता है। क्लाइमैक्स में फिल्म के सभी किरदारों का कुंदन से प्रेम मजबूती से दिखाई देता है। इस मार्मिक क्लाइमैक्स का अलग प्रशंसक वर्ग है।