सोने से लदे बप्पी दा की छवि सबके मन में छपी हुई है। हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने अपना यह लुक ट्रेडमार्क करवाया था। वह नहीं चाहते थे कि कोई उनके लुक की नकल करे। लुक ट्रेडमार्क करवाने का अर्थ अपने लुक को पेटेंट करवाना है।
बप्पी का कहना था कि जो सोना आभूषण के रूप में वह पहनते हैं, वो उनकी मेहनत का नतीजा है। वह खुद के लिए सोना लकी मानते थे। एक इंटरव्यू में बप्पी ने बताया था कि उन्होंने अपने लिए यह लुक क्यों चुना था।
बप्पी ने बताया था कि वह अमेरिकी पॉप स्टार एल्विस प्रेसली से काफी प्रभावित थे। प्रेसली भी अपने कॉन्सर्ट के दौरान सोने की चेन पहनते थे। उन्हें देख बप्पी ने तया किया कि जब वह सफल गायक बन जाएंगे तो वह भी सोने की चेन पहनेंगे।
बप्पी ने एक इंटरव्यू में कहा था, "कई लोग मेरे लुक को समारोहों में कॉपी करते थे, लेकिन मेरे लुक की नकल आसानी से नहीं की जा सकती।" उन्होंने कहा था कि उन्हें 'गोल्ड मैन' कहलाने पर गर्व है। सोने की चेन के अलावा बप्पी दा को काले चश्मे का भी शौक था।
बॉलीवुड में पॉप म्यूजिक को शामिल करने में बप्पी दा का अहम योगदान है। यही वजह है कि उन्हें 'डिस्को किंग' कहा जाता है। बप्पी दा ही बॉलीवुड में रॉक और पॉप म्यूजिक का चलन लेकर आए थे।
1982 में आई मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म 'डिस्को डांसर' से वह हर तरफ छा गए थे। उनके मशहूर गाने 'जिमी जिम्मी आ जा' को 45 विदेशी भाषाओं में डब किया गया, जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
बप्पी लहरी का असली नाम अलोकेश लहरी था। उन्होंने अपने करियर में 500 से ज्यादा गाने कंपोज किए थे। 1986 में 33 फिल्मों में 180 गानों को अपनी आवाज दी थी। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया।