1966 में आई यही वो फिल्म थी, जिसने धर्मेंद्र की तकदीर बदलकर रख दी। यह उनकी पहली ऐसी फिल्म थी, जिसने उनकी पर्दे पर 'हीमैन' के साथ एक रोमांटिक छवि भी गढ़ी थी। फिल्म में धर्मेंद ने एक शातिर चोर शाका की भूमिका निभाई थी।
'शोले' धर्मेंद्र को हमेशा याद करने वाली फिल्म बनी। इसमें उन्होंने वीरू की भूमिका निभाई। उनके डायलॉग 'मौसी' और 'बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना' आज भी याद किए जाते हैं। रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी यह फिल्म प्राइम वीडियो पर मौजूद है।
फिल्म 'धरम वीर' ऐसे जुड़वा भाइयों की कहानी थी, जिसमें मामा अपने दो भांजों को अलग कर देता है। फिल्म में इन दोनों जुड़वा भाइयों का किरदार धर्मेंद्र और अभिनेता जितेंद्र ने निभाया। धर्मेंद्र ने फिल्म में धरम का किरदार निभाया, जो एक लोहार था।
ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी 1969 में आई 'सत्यकाम' ने भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन इसके जरिए धर्मेंद्र का एक अलग ही चेहरा सामने आया। एक ईमानदार इंजीनियर और आदर्शवादी व्यक्ति सत्यप्रिय का किरदार उन्होंने बखूबी पर्दे पर उतारा।
1971 में जब धर्मेंद्र की फिल्म 'मेरा गांव मेरा देश' रिलीज हुई थी, उस समय पूरा हिंदुस्तान राजेश खन्ना की रोमांटिक इमेज में डूबा हुआ था। बावजूद इसके यह फिल्म खूब चली। इसमें भी धर्मेंद्र के अभिनय का पक्ष कभी न भूलने वाला है।