एक पुराने इंटरव्यू में चित्रा ने जगजीत से अपनी पहली मुलाकात का किस्सा सुनाया था। जगजीत चित्रा के एक पड़ोसी के घर गाने आए थे। जगजीत गा रहे थे और चित्रा बालकनी में खड़ी थीं। चित्रा को उनकी आवाज बिल्कुल नहीं भा रही थी।
अगले दिन हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था। चित्रा को भी पिछली शाम का रिकॉर्डेड टेप दिया गया। सबने कहा, "वाह, क्या आवाज है।" वहीं चित्रा की प्रतिक्रिया थी, "तौबा-तौबा ये भी कोई आवाज है।"
इस वाकये के कुछ साल बाद एक कार्यक्रम के लिए चित्रा जगजीत से दोबारा मिलीं और उन्हें याद आया कि यह वही शख्स है जिसे उन्होंने बालकनी से सुना था।
जगजीत और चित्रा ने कई गाने एक साथ गाए। वे अकसर एक-दूसरे से मिलने-जुलने लगे और एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए। तब चित्रा शादीशुदा थीं, लेकिन अपने पति से अलग रहती थीं। जगजीत ने उनके पति से ही उनका हाथ मांगा और उनसे शादी कर ली।
10 अक्टूबर, 2011 को जगजीत का ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हो गया था। जगजीत ने अपने करियर में कई भाषाओं गजलें गाईं। 'द अनफॉरगेटेबल', 'मिराज', 'सिलसिले' और 'सहर' जैसे एल्बम खूब लोकप्रिय हुए।