राजस्थान के राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव में जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो गांव वाले पेड़ लगाने की परंपरा को निभाते हैं। इसका उद्देश्य लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करना।
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित बघूवर गांव में आजादी के बाद से कोई नेता या सरपंच नहीं रहा है। 2007 में इसने खुले में शौच मुक्त गांव बनने के लिए पूर्ण स्वच्छता हासिल की। गांव में एक भूमिगत सीवेज सेटअप और 55 से अधिक बायोगैस संयंत्र हैं।
नागालैंड में स्थित खोनोमा गांव को एशिया का सबसे पहला हरा-भरा गांव घोषित किया गया है। इस गांव में 100 से ज्यादा अलग-अलग प्रजाति के लोग रहते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है।
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित हिवरे बाजार गांव अपनी सिंचाई प्रणाली और जल संरक्षण कार्यक्रम के लिए जाना जाता है। ग्रामीणों ने काफी पहले यहां जल-गहन फसलों की खेती बंद कर दी थी। उन्होंने अन्य उपायों के साथ भूजल स्तर को फिर से भरने में मदद की।
तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में स्थित यह खूबसूरत ईको-गांव ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए जाना जाता है। इस गांव में 350 किलोवाट क्षमता वाली पवनचक्की है। इससे पैदा होने वाली 6.75 लाख यूनिट बिजली में से करीब दो लाख यूनिट तमिलनाडु बिजली बोर्ड को बेची जाती है।